मुंबई। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने एनआरआई अर्थशास्त्रियों पर बड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अनिवासी भारतीय अर्थशास्त्रियों के सुझावों को नजरअंदाज करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविड महामारी के बाद उबरने में मदद मिली. हालांकि, बिबेक देबरॉय ने किसी अर्थशास्त्री का नाम नहीं लिया है.

बिबेक देबरॉय ने डीआर गाडगिल मेमोरियल व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत ने संकट के जवाब में “राजकोषीय स्त्रोत” नहीं खोले और कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है, जो “राजकोषीय फिजूलखर्ची” में लिप्त थे. उन्होंने कहा कि साक्ष्य यह भी दर्शाते हैं कि पश्चिम से बहुत सारे लोग थे, जिनमें अनिवासी भारतीय अर्थशास्त्री भी शामिल थे, जिन्होंने हमें उन आर्थिक नीतियों पर व्याख्यान दिया जिनका भारत को पालन करना चाहिए. भारत सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बाकी दुनिया में जो हो रहा है उसकी तुलना में हम आज इस आरामदायक स्थिति में हैं क्योंकि राजकोषीय स्त्रोत को खुला नहीं रखा गया है. और कई विकसित देश राजकोषीय फिजूलखर्ची के कारण परेशानी की स्थिति में हैं. हालांकि, देबरॉय ने किसी भी अनिवासी अर्थशास्त्री का नाम नहीं लिया.

2047 तक भारत बनेगा दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक 20 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जीडीपी और प्रति वर्ष 10,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक की प्रति व्यक्ति आय के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी.