रायपुर-  सपने देखिए, क्योंकि सपने देखने से ही पूरे होते हैं. पर क्या एक दर्जी के बेटे को बड़ा सपना देखना चाहिए ? क्योंकि शायद ज्यादातर लोग गरीबी के आगे अपने सपनों का दम घोंट देते है. ऐसा ही एक बड़ा सपना देखा रायपुर के कृष्ण कुमार ने. जो एक दर्जी परिवार से आता है. कृष्णा ने बचपन में एक विमान को आसमान में उड़ते देखा और खुशी से उछल कर बोला मैं भी बड़ा होके विमान उड़ाऊंगा…

बस यहीं से जन्म हुआ एक बड़े सपने का. कृष्ण कुमार हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रहा. उसने जे.एन. पांडेय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. कृष्ण शुरू से ही मेहनती और मेधावी था स्कूली शिक्षा के बाद कृष्ण का दाखिला NIT जैसे संस्थान में हुआ. रायपुर NIT से कृष्ण कुमार ने साइंस में बी.टेक की डिग्री ली. 2006 में NCC के एयर विंग के केडेट के रूप में अकेले ग्लाइडिंग करने का गौरव भी कृष्णा को प्राप्त हुआ.

एक ओर कृष्ण कुमार के पायलट बनने की इक्छा अपनी चरम सीमा पर थी तो वहीं दूसरी ओर दर्जी पिता से पायलट बनने की बात कह पाना भी आसान नहीं था क्योंकि कृष्ण घर की आर्थिक स्थिति से भली भांति परिचित था. कृष्ण के सपने की जानकारी उसके पिता को थी. कृष्ण के पिता जानते थे कि उनका बेटा कितना मेहनती है और पायलट बनना चाहता है. बेटे के सपने को ना पूरा कर पाने का मलाल पिता को खलता था वो कृष्ण को पायलट बनाना चाहते थे लेकिन गरीबी आड़े आ रही थी. कृष्ण ने बताया कि आर्थिक विवशता के चलते वह निराश हो गया था क्योंकि एक गरीब दर्जी परिवार के लिए पायलट की पढ़ाई का खर्च उठाना मुमकिन नहीं था. पायलट प्रशिक्षण एक खर्चीला पाठ्यक्रम है. इसकी फीस हजारों में नहीं लाखों में होती है.

कहते हैं ना जहाँ चाह वहाँ राह. कृष्ण कुमार के पायलट बनने का सपना लगभग असंभव था लेकिन यह संभव हो पाया आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के वायुयान पायलट प्रशिक्षण योजना की वजह से. इस योजना ने कृष्ण कुमार के ख्वाबों को हकीकत में बदल दिया. कृष्ण ने इस योजना का लाभ उठाकर पायलट बनने का प्रशिक्षण लिया और आज पायलट बन अपने सपनों को जी रहा है. कृष्ण कुमार का कहना है कि उनके लिए ये योजना किसी वरदान से कम नहीं है. इस योजना ने ना केवल उम्मीद की किरण दिखाई बल्कि इसी योजना ने उनके जीवन को कामयाबी की रौशनी भी दी. कृष्ण कुमार वर्तमान में झारखंड सरकार में पायलट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहें. कृष्णा की दिली इच्छा है कि वे छत्तीसगढ़ शासन का विमान उड़ाएं. वे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के समक्ष भी अपनी योग्यता सिध्द करना चाहते हैं और उनसे यही कहना चाहते हैं कि उन्होंने राज्य के अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं पर जो भरोसा दिखाया वो खाली नहीं गया.

आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की इस योजना के तहत छत्तीसगढ राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को छत्तीसगढ शासन द्वारा स्थापित उड़ान अकादमी द्वारा पायलट प्रशिक्षण दिया जाता है जिसका पूरा खर्च शासन द्वारा उठाया जाता है. जिसमें उड़ान व्यय, मेस एवं छात्रावास व्यय, लाईसेंस फीस एवं प्रथम श्रेणी की चिकित्सा जांच फीस और पाठयक्रम को पूरा करने हेतु सभी अनिवार्य फीस भी शामिल हैं. इस प्रशिक्षण हेतु अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थी को भौतिकी, रसायन एवं गणित विषय के साथ 10+2  बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा में न्यूनतम 50 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी  को न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों सहित उत्तीर्ण होना चाहिये. अभ्यर्थी की आयु प्रशिक्षण सत्र के दौरान 25 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये.

जिस तरह आज कृष्ण कुमार ने आसमान की ऊंचाईयों को छुआ है आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि उसी तरह एक दिन प्रदेश के अन्य युवा भी अपनी सफलता का परचम लहराएंगे। छत्तीसगढ राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिभावान और हिम्मती बच्चे जो इस रोमांच और साहस से भरे पेशे को अपनाना चाहते हैं सफलता उनके कदम चूमने के लिए बेकरार है और उनकी इस उड़ान को मजबूत पंख देने छत्तीसगढ़ शासन प्रतिबध्द है.