पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ने वाली ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) इंडस्ट्री को एक बड़ा झटका लगा है. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल ने ऑनलाइन गेमिंग, हॉर्स रेसिंग और कैसिनो की पूरी वैल्यू पर 28 प्रतिशत का GST लगाने की सहमति दी है. GST काउंसिल का मानना है कि ‘गेम ऑफ स्किल’ और ‘गेम ऑफ चांस’ के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए.
इस पर ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने कहा कि यह निर्णय 60 वर्षों से अधिक के स्थापित कानूनी न्यायशास्त्र की अनदेखी करता है और ऑनलाइन कौशल गेमिंग को जुआ गतिविधियों के साथ जोड़ता है. उनहोंने कहा, “हमारा मानना है कि जीएसटी परिषद का यह निर्णय असंवैधानिक, तर्कहीन और घृणित है. लैंडर्स ने एक बयान में कहा, यह निर्णय पूरे भारतीय गेमिंग उद्योग को खत्म कर देगा और लाखों लोगों की नौकरी चली जाएगी और इससे लाभान्वित होने वाले एकमात्र लोग राष्ट्र-विरोधी अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म होंगे.“
फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) के महानिदेशक जॉय भट्टाचार्य ने कहा कि वे निराश हैं कि जीएसटी परिषद और अधिकारियों ने पुरस्कार राशि सहित कुल एंट्री अमाउंट पर 28% जीएसटी लागू करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि कुल रिटर्न पर टैक्स के मूल्यांकन में बदलाव से इंडस्ट्री को भारी क्षति होगी. लाखों कुशल इंजीनियरों के लिए रोजगार का नुकसान होगा. इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि यह निर्णय यूजर्स को अवैध सट्टेबाजी प्लेटफार्मों पर ट्रांसफर कर देगा, जिससे यूजर्स का जोखिम बढ़ेगा और सरकार को राजस्व का नुकसान होगा.
इंडियाप्लेज के सीओओ आदित्य शाह ने कहा कि 28% टैक्स की दर गेमिंग इंडस्ट्री के लिए चुनौतियां लाएगी. यह हायर टैक्स का बोझ कंपनियों के कैश फ्लो को प्रभावित करेगा, जिससे इनोवेशन, रिसर्च और बिजेनेस विस्तार में निवेश की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी. स्किल्ड बेस्ड गेम और कैसीनो या सट्टेबाजी ऐप्स के बीच बारीक लाइन है और उनके साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए रास्ता.
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