दुलेंद्र पटेल. तमनार(रायगढ़). विलुप्ति की कगार पर जा पहुंचा एक दुर्लभ पैंगोलिन मिला है. यह पैंगोलिन तमनार वन परिक्षेत्र के ग्राम देवगढ़ के बरमुड़ा में पकड़ा गया है. दरअसल वन विभाग को सूचना मिली कि गांव के व्यक्ति के पास पैंगोलिन है जिसे जंगल से पकड़ा है. वन विभाग गांव पहुंचकर वन्य प्राणी को सुरक्षित रखा गया है. जिसे सुरक्षित रात को जंगल में छोड़ा जाएगा.
जानकारी के मुताबिक यह पैंगोलिन एक मीटर लंबा है. जिसे देखने के लिए गांव लोग इकट्ठा हो गए. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी. जिसके बाद वन विभाग के वनपरिक्षेत्राधिकारी भगत राम खेस के नेतृत्व में वन विभाग के कर्मचारियों के साथ वन अमला द्वारा मौके पर पहुंचकर सुरक्षित रखा गया है. भगत राम खेस ने बताया कि पैंगोलिन गांव के एक व्यक्ति के पास मिला है. जिसे रात में सुरक्षित जंगल में छोड़ा जाएगा.
पैंगोलिन के शरीर पर केराटिन के बने शल्क (स्केल) नुमा संरचना होती है. जिससे यह अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है. पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला प्राणी है. यह अफ़्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. इसे भारत में “सल्लू सांप” भी कहते हैं. इनके निवास वाले वन शीघ्रता से काटे जा रहे हैं. यह दुर्लभ प्राणी औषधि तथा जादू-टोने में प्रयोग किए जाने के कारण संकट ग्रस्त जीवों की प्रजातियों में आ गया है. जिसकी वजह से पैंगोलिन की सभी जातिया अब संकटग्रस्त मानी जा रही हैं और उन सब पर विलुप्ति का ख़तरा मंडरा रहा है.
गेंद की तरह गोल होने के बाद इस विचित्र प्राणी को खोलकर सीधा करना बहुत कठिन होता है. इसका मुख्य आहार चीटियां, दीमक व उनके अंडे हैं. उसका भोजन करने का तरीका भी अनोखा है. यह अपनी लगभग 30 सेंटीमीटर लंबी चिपचिपी जीभ को चीटियों और दीमक के घरों में डालकर चुपचाप पड़ा रहता है. जब चीटियां एवं दीमक इसकी जीभ में चिपक जाते है तो यह जीभ को मुंह के भीतर खींचकर उन्हें चट कर जाता है. यह प्राणी खतरे का आभास होते ही अपने शरीर को गेंद की तरह गोल बनाकर निर्जीव होकर पड़ा रहता है.