पवन दुर्गम,बीजापुर. आंदोलन पर बैठे जिला अस्पताल के 36 संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की बर्खास्तगी का मुद्दा अब राजनीतिक रंग लेने लगा है. बर्खास्त स्टाफ नर्सों और 2 डॉक्टरों के पक्ष में कांग्रेस खुल कर सामने आ गई है और बर्खास्तगी का कड़ा विरोध कर रही है. चुनावी साल में भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है. बर्खास्त स्वास्थ्य स्टाफ नर्स और डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि लगातार उन्हें डयूटी पे आने के लिए डराया जा रहा है, ड्यूटी पर नहीं लौटे तो आवास खाली कराने की धमकी भी दी जा रही है.
संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ के बैनर तले हड़ताल में बैठे जिला अस्पताल के स्टाफ नर्सों और डॉक्टर्स की बर्खास्तगी का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. इस मामले को लेकर कांग्रेस बर्खास्त स्वास्थ्य कर्मियों के पक्ष में खड़े होते हुए प्रशासन से बर्खास्तगी की कार्यवाही को तत्काल वापस लेने की मांग किया है. वहीं इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का एक दल मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी से मिलने गया था. लेकिन मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में महज चपरासी और कर्मचारी ही थे कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं थे.
इस मामले को लेकर कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष विक्रम मंडावी ने कहा कि प्रशासन का यह फैसला न्याय संगत नहीं है सभी को अपना हक मांगने का अधिकार है. यदि प्रशासन जल्द से जल्द स्टाफ नर्सों पर किये गए बर्खास्तगी की कार्यवाही को वापस नहीं लेती है, तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएगी.
वहीं प्रदेश सचिव व बीजापुर जिला प्रभारी सत्तार अली प्रशासन की कार्यवाही को गलत ठहराते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति दयनीय है. इसके बावजूद बस्तर, बीजापुर जैसे संवेदनशील जिले में कोई अधिकारी कर्मचारी नहीं आना चाहता है. इसके बावजूद यहां आकर विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है.
कांग्रेस अध्यक्ष अजय सिंह ने भी स्टाफ नर्सों की बर्खास्तगी के मामले को गलत ठहराते हुए इस पूरी प्रक्रिया और समय पर सवाल उठाये हैं. अजय सिंह ने कहा कि 36 कर्मचारियों के बर्खास्तगी तो आनन-फानन में कर दिया गया, लेकिन इसका विपरीत प्रभाव जिले के मरीजों पर पड़ना स्वाभाविक है. उन्होंने हर परिस्थिति में स्टाफ नर्सों को उनकी लड़ाई में अंतिम समय तक साथ देने का आश्वासन दिया.