ISRO Chandrayaan 3 Launch: भारत ने आज एक नया कीर्तिमान बनाने की दिशा में अपने कदम एक बार फिर बढ़ा दिए हैं. आज भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3′ (Chandrayaan-3) को लॉन्च कर दिया गया है. चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरी. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया. वहीं, इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा है कि अगर सब कुछ सामान्य रहा तो चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को शाम लगभग 5.47 बजे चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है.

मिशन के बारे में इसरो प्रमुख ने क्या कुछ कहा?

आंध्र प्रदेश में मीडिया से बातचीत के दौरान इसरो प्रमुख ने कहा, ”हमने पहले साल में देखा कि पहले क्या गलती की थी और उसके बाद दूसरे साल में क्या सुधार किया जाए कि ये बेहतर हो. फिर हमने देखा कि और क्या गलती हुई थी क्योंकि कुछ समस्याएं छिपी होती है जो हमने समीक्षा और टेस्ट से पता लगाया. तीसरे साल हमने सभी टेस्टिंग की और अंतिम साल में हमने अंतिम संयोजन और तैयारी की. मैं इस कार्य के लिए पूरी टीम को बधाई देता हूं.”

इसरो ने बताया है कि Chandrayaan-3 की गतिविधि पूरी तरह से सामान्य है और वो उसे चांद की सतह पर देखने की प्रतीक्षा में हैं. चंद्रयान-3 तीन में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है. इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है. चंद्रयान 3 के लॉन्च को देखने के लिए कई स्कूलों के क़रीब 200 स्टूडेंट्स स्पेस सेंटर पर पहुंचे थे. इस दौरान हज़ारों लोग स्पेस सेंटर पर मौजूद दिखे. चंद्रयान-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा.

पीएम मोदी ने Chandrayaan-3 के लॉन्च से पहले ट्वीट कर कहा था- ”भारत के स्पेस सेक्टर के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 की तारीख़ सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी.” इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा जो चांद की सतह पर उतरेगा और लूनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी.

साउथ पोल पर ही क्यों उतरेगा हमारा लैंडर?

Chandrayaan-3 के लैंडर को चांद के साउथ पोल पर उतारा जाएगा. चांद को फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है. चांद के इस भाग के बारे में अभी बहुत जानकारी भी सामने नहीं आ पाई है.

चंद्रयान-1 मिशन के दौरान साउथ पोल में बर्फ के बारे में पता चला था. साउथ पोल काफी रोचक है. इसकी सतह का बड़ा हिस्सा नॉर्थ पोल की तुलना में ज्यादा छाया में रहता है. यहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती. तापमान -230 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है.
संभावना इस बात की भी जताई जाती है कि इस हिस्से में पानी भी हो सकता है. चांद के साउथ पोल में ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में शुरुआती सौर प्रणाली के लुप्‍त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं. अगर चंद्रयान-3 यहां लैंड करता है तो यह ऐतिहासिक होगा.

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