नई दिल्ली . उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक साथ बैठकर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) का अध्यक्ष चुनने को कहा. शीर्ष अदालत ने कहा है कि संवैधानिक पदों पर बैठे दोनों लोगों (उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री) को राजनीतिक कलह से ऊपर उठकर सार्वजनिक हितों के लिए काम करना होगा. डीईआरसी का अध्यक्ष बनने के लिए उच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश होना आवश्यक है.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ईडीआरसी के अध्यक्ष पद पर उपराज्यपाल सक्सेना द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश उमेश कुमार को नियुक्ति किए जाने के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने आश्चर्य जताया कि क्या संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच सौहार्दपूर्ण चर्चा के माध्यम से समाधान संभव नहीं है.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘क्या हर चीज उच्चतम न्यायालय के तौर-तरीकों से चलनी चाहिए? क्या उपराज्यपाल और सरकार बैठकर डीईआरसी के अध्यक्ष के लिए नाम तय कर सकते हैं? पीठ ने कहा, ‘वे संवैधानिक पदाधिकारी हैं, उन्हें राजनीतिक कलह से ऊपर उठना होगा. उन्हें एक ऐसा नाम देना होगा, जिस पर दोनों की सहमति हो.’

एक साथ हल निकालें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री एक साथ बैठें और एक-दूसरे से बात करें. मुझे यकीन है कि इस मसले का हल किया जा सकता है. पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया.

दिल्ली सरकार की दलील दोषपूर्ण उपराज्यपाल

एलजी वीके सक्सेना ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि दिल्ली सरकार की यह दलील बुनियादी रूप से दोषपूर्ण है कि यहां नागरिकों से जुड़े विषयों पर उनका एकाधिकार है. यह मान लेना हास्यास्पद है कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई केंद्र सरकार की सलाह पर काम करने वाले राष्ट्रपति राष्ट्रीय राजधानी के नागरिकों की जरूरतों को लेकर संवेदनशील नहीं होंगे. दिल्ली सरकार की उस याचिका पर यह दलील दी गई, जो डीईआरसी के प्रमुख की नियुक्ति से जुड़े विवाद पर दायर की गई है.

न्यायालय के हस्तक्षेप बगैर हल मुश्किल सिंघवी

पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और उपराज्यपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को इस मामले पर अपने-अपने मुवक्किलों से निर्देश प्राप्त करने को कहा है. पीठ ने दोनों वरिष्ठ वकीलों से गुरुवार को इस बारे में समुचित जानकारी देने को कहा है. हालांकि, सिंघवी ने कहा कि शीर्ष न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर गतिरोध को हल करने में संभावना काफी कम है. इस पर उपराज्यपाल की ओर से साल्वे ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार के वकील ने यह कहना शुरू कर दिया कि उन्हें कोई उम्मीद नहीं है. साल्वे ने कहा कि पहली प्रतिक्रिया हां होनी चाहिए.

क्या है मामला

दिल्ली सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश उमेश कुमार को डीईआरसी प्रमुख नियुक्ति किए जाने के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में याचिका दाखिल की है. सरकार ने कहा है कि उपराज्यपाल ने उसकी (सरकार) सहमति के बगैर ही डीईआरसी के अध्यक्ष पद पर जस्टिस कुमार की नियुक्ति की है. शीर्ष अदालत ने चार जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए डीईआरसी अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किए गए जस्टिस कुमार को शपथ लेने से रोक दिया था.