घर के मंदिर में पूजा के बाद दीया जलाना एक परंपरा की तरह है। वहीं, शाम के समय भी लोग घर के मंदिर के साथ-साथ घर के द्वार पर दीया जलाते हैं। घर के मुख्यद्वार पर दीया जलाने का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि वास्तु शास्त्र में भी महत्व होता है। दीया जलाने से बहुत सी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं और इसका संबंध घर की सुख-समृद्धि और खुशहाली से भी है। यहां जानिए किस तरह घर के द्वार पर दीया जलाया जाता है और दीया जलाने से कौन-कौनसे वास्तु नियम जुड़े हुए हैं।
घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाना
माना जाता है कि संध्याकाल में दीया जलाना बेहद शुभ होता है। इस समय को गोधुलि बेला भी कहा जाता है और इस समय घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाने से नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर रहती है। मुख्य द्वार पर इस समय दीया जलाने पर राहु के दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा घर के मंदिर में भी इस समय दीया जलाया जाता है।
माता लक्ष्मी की कृपा
शाम के समय मुख्य द्वार पर दीया जलाने को मां लक्ष्मी के आगमन से जोड़कर देखा जाता है। इस समय को माता लक्ष्मी के घर आने का समय कहा जाता है। इसीलिए घर की चौखट पर शाम के समय बैठने की मनाही होती है। वहीं, शाम के समय दीया जलाने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और खुश मन से घर में प्रवेश करती हैं।
नकारात्मक ऊर्जा को रखे बाहर
मान्यतानुसार घर के मुख्यद्वार पर दीया जलाने पर नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर रखा जा सकता है। शाम के समय घर के आस-पास नकारात्मकता मंडरा सकती है जिससे छुटकारा पाने के लिए दीपक जलाना शुभ होता है।
इस स्थान पर जलाएं दीया
वास्तु के अनुसार घर के मुख्यद्वार पर दाहिनी ओर दीया जलाया जाना शुभ होता है। जब आप घर से बाहर निकलें तो दीया दाहिनी तरफ होना चाहिए। इसके अतिरिक्त मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का या फिर घी का दीपक जलाना चाहिए।दोनों ही तरह के दीये को घर के बाहर जलाना शुभ होता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप पश्चिम दिशा में दीया ना जलाकर रखें।
किस समय जलाएं दीया
दीया जलाने का सबसे उचित समय शाम 5 बजे से 8 बजे के बीच माना जाता है। इस समयावधि में दिया जलाना शुभ माना जाता है।दीपक की ज्योति को उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ रखें।