रुपेश गुप्ता, रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति के मामले में हाई पावर कमेटी के आदेश को करीब हफ्ते भर हो चुके हैं. लेकिन कमेटी की रिपोर्ट किसी ने नहीं देखी. न किसी पत्रकार ने, न ही किसी राजनेता ने. शनिवार को जब मामले के प्रमुख पक्षकार संतकुमार नेताम रिपोर्ट लेने रायपुर पहुंचे तो कमेटी की अध्यक्ष रीना बाबा साहेब कंगाले ने उन्हें बैंरग लौटा दिया.
जब उन्होंने कहा कि मामले का मुख्य पक्षकार होने के नाते कमेटी का आदेश हासिल करना उनका हक़ है. तो कमेटी की अध्यक्ष ने कहा कि वे इस संबंध में विधि विभाग से मशविरा करने के बाद ही उन्हें दे पाएंगे.
सवाल उठता है कि आखिर संतकुमार नेताम को आदेश की कॉपी क्यों नहीं दी गई. क्या आदेश गोपनीय होता है जो केवल कोर्ट में ही पेश किया जा सकता है. या फिर इसे जानबूझकर छिपाया जा रहा है.
संतकुमार के वरिष्ठ अधिवक्ता उपेंद्रनाथ अवस्थी का कहना है कि कमेटी जाति के निर्धारण के लिए राज्य की एकमात्र अभिकरण है. जिसे न्यायिक अधिकार प्राप्त हैं. अगर वो कोई आदेश सुनाती है तो उसे यह आदेश पक्षकारों के सामने सुनाना चाहिए अथवा इसकी कॉपी पक्षकारों को भेजना चाहिए. उनका कहना है कि कमेटी का आदेश गोपनीय दस्तावेज़ नहीं हो सकते हैं. उनका कहना है कि याचिकाकर्ता होने के नाते संतकुमार नेताम का ये हक़ है कि उसे आदेश की कॉपी दी जाए और आदेश को सार्वजनिक किया जाए.
जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इस आदेश को महाधिवक्ता, सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग, कलेक्टर बिलासपुर, आदिम जाति विभाग की मुख्य सचिव जो कि खुद इस कमेटी की अध्यक्ष रीना बाबा साहेब कंगाले हैं, भेजा गया है. लेकिन कमेटी किसी बात को आधिकारिक तौर पर नहीं बता रही है.
इस मामले में मुख्य रुप से तीन पक्ष हैं. शिकायतकर्ता संतकुमार नेताम हैं जिन्हें आदेश की कॉपी दी ही नहीं गई. दूसरा पक्ष अजीत जोगी का है जिनके मीडिया प्रमुख इक़बाल अहमद रिज़वी ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि अब तक आदेश की कॉपी उन्हें अप्राप्त है. जबकि उनके दूसरे सहयोगी अशोक शर्मा ने इस बात को कंफर्म किया कि जोगी को आदेश की कॉपी मिल चुकी है. तीसरा पक्ष सरकार का है. महाधिवक्ता को भी अभी तक यह रिपोर्ट अप्राप्त है.
इस मामले में एक और पक्षकार कलेक्टर बिलासपुर हैं. कलेक्टर बिलासपुर के दफ्तर को इस आदेश की कॉपी गुरुवार को ही मिल गई थी. बड़ा सवाल है कि आदेश के मामले में इतनी सावधानी क्यों बरती जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल रायपुर से लेकर दिल्ली तक इस मामले को लेकर नाप चुके हैं लेकिन कॉपी का इंतज़ार कर रहे हैं.
कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह का आरोप है कि सरकार अजीत जोगी को फायदा पहुंचाने की नीयत से आदेश की कॉपी को न तो सार्वजनिक कर रही है न ही हाईकोर्ट में पेश कर रही है. आरपी का कहना है कि चूंकि हाई पावर कमेटी कोर्ट की देरी को लेकर हाईकोर्ट में कोर्ट की अवमानना का केस चल रहा है. कोर्ट ने 31 मई तक का वक्त मुकर्रर किया था.लिहाज़ा सरकार को आनन-फानन में कोर्ट पहुंचना चाहिए था. लेकिन उसने अब तक रिपोर्ट दाखिल नहीं की.
कांग्रेस के आदिवासी सोमनलाल ठाकुर ने आदेश आने के अगले दिन ही सूचना के अधिकार के तहत आदेश की कॉपी मांगी लेकिन अब तक उन्हें आदेश अप्राप्त है. सबको इंतज़ार है कि आखिर आदेश की कॉपी कब सामने आएगी. जब तक रिपोर्ट सामने न आ जाएं तब तक तरह-तरह की चर्चाओं का बाज़ार गर्म है.