लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विरासत वृक्ष अंगीकरण योजना के तहत सूबे के 948 विरासत वृक्षों को संवारेगी। 100 वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रजाति के वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है। यह वृक्ष प्रदेश के सभी 75 जिलों में हैं।
जानकारी के मुताबिक वाराणसी में सर्वाधिक 99, प्रयागराज में 53, हरदोई में 37, गाजीपुर में 35 व उन्नाव में विभिन्न प्रजातियों के 34 विरासत वृक्ष हैं। योगी सरकार विलुप्त हो रही वृक्ष प्रजातियों के संरक्षण व पौराणिक और ऐतिहासिक अवसरों, महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों, स्मारकों, धार्मिक परंपराओं व मान्यताओं से जुड़े हुए वृक्षों को संरक्षित कर जन सामान्य में इसके प्रति जागरूकता पैदा कर रही है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन द्वारा हेरीटेज वृक्षों के चयन व अभिलेखीकरण के लिये दिशा-निर्देश दिया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने गैर वन क्षेत्र (सामुदायिक भूमि) पर अवस्थित 100 साल से अधिक आयु के 28 प्रजातियों को विरासत वृक्ष घोषित किया है। इनमें अरु, अर्जुन, आम, इमली, कैम, करील. कुसुम, खिरनी, शमी, गम्हार, गूलर, छितवन, चिलबिल, जामुन, नीम, एडनसोनिया, पाकड़, पीपल, पीलू, बरगद, महुआ, महोगनी, मैसूर बरगद, शीशम, साल, सेमल, हल्दू व तुमाल शामिल हैं। इसमें बरगद प्रजाति के 363 व पीपल प्रजाति के 422 वृक्ष हैं।
विरासत वृक्ष में आध्यात्मिक व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े वृक्ष शामिल किए गए हैं। योगी सरकार यूपी के सभी 75 जिलों में विरासत वृक्षों को खोजकर इन्हें संरक्षित करने को प्रतिबद्ध है। गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, काली मंदिर के समीप व गौशाला के अंदर बरगद व पाकड़ वृक्षों सहित पूरे जिले में 19 वृक्ष विरासत वृक्ष घोषित किए गए हैं।
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वहीं लखनऊ व वाराणसी के क्रमश: दशहरी आम व लंगड़ा आम के मातृ वृक्ष, फतेहपुर का बाचन इमली, मथुरा के इमलीतला मन्दिर परिसर का इमली वृक्ष, प्रतापगढ़ का करील वृक्ष, बाराबंकी में स्थित एडनसोनिया वृक्ष, हापुड़ व संत कबीर नगर में अवस्थित पाकड़ वृक्ष, सारनाथ का बोधि वृक्ष, बाबा झारखंड के नाम से प्रसिद्ध अम्बेडकर नगर का पीपल वृक्ष एवं आर्डिनेंस क्लॉथ फैक्ट्री शाहजहांपुर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा पीपल वृक्ष शामिल है।
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