अमृतांशी जोशी,भोपाल। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात भोपाल जिले के दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट की.
दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट
राजधानी भोपाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट मानी जाती है. साल 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. ज़्यादातर समय इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा रहा है. इस सीट पर करीब 2 लाख 31 हज़ार मतदाता है. दक्षिण पश्चिम विधानसभा अपने आप में बेहद ख़ास है. सरकारी अधिकारी- कर्मचारी बाहुल्य सीट पर 75 प्रतिशत मतदाता सामान्य वर्ग और ओबीसी के हैं. 17 फीसदी के साथ एससी वोटर भी असर रखते हैं. दक्षिण पश्चिम विधानसभा में भोपाल की सबसे बड़ी बाजार न्यू मार्केट, झुग्गी बस्ती और पॉश इलाके शामिल हैं. कुछ मूलभूत सुविधाओं को लेकर नाराजगी है. विकास के मुद्दे पर वोटिंग की बात ज्यादातर लोग कह रहे हैं. हालांकि वर्तमान विधायक से लोगों को खास समस्या नहीं है.
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दक्षिण पश्चिम विधानसभा का इतिहास
दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर 1990 से अब तक 5 बार बीजेपी के विधायक चुने गए हैं, जबकि दो बार कांग्रेस के प्रतिनिधि बने. 1998 और 2018 में कांग्रेस से पीसी शर्मा यहां से विधायक चुने गए. जिन्होंने उमाशंकर गुप्ता को मात दी थी. कमलनाथ की सरकार में मंत्री भी रहे हैं. जबकि 2003 से 2013 तक बीजेपी से उमाशंकर विधायक रहे. बीजेपी विधायक रहते उमाशंकर को मंत्रिमंडल में भी जगह मिली. इसके पहले 1990 और 1993 में भी यहाँ बीजेपी का ही कब्जा रहा है.
चुनावी मुद्दे
दक्षिण पश्चिम विधानसभा में बड़ी संख्या में लोग झुग्गी बस्तियों में रहते हैं. यहां लोगों की मूलभूत सुविधाओं को लेकर तमाम समस्याएं हैं. खास तौर पर आवास योजना और बेहतर सड़क की उम्मीद है. हालांकि बिजली पानी जैसी सुविधाएं दुरुस्त हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि कई मूलभूत सुविधाओं से अभी भी वो वंचित है. मौजूदा विधायक के व्यक्तित्व से लोग काफी ज़्यादा प्रभावित है. यहां तक की एक व्यक्ति के कैंसर की इलाज भी विधायक की अनुदान राशि से दी गई. दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में एक अच्छी खासी आबादी कर्मचारियों की भी है. कर्मचारियों के साथ रिटायर्ड कर्मचारियों के बीच पुरानी पेंशन योजना चर्चा का विषय है. OPS योजना दक्षिण पश्चिम विधानसभा के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव डाल सकता है.
जातिगत समीकरण
दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो यहां सबसे ज्यादा दलित वोटर 55 हजार है. कायस्थ 32 हजार, ब्राह्मण 25 हजार, मुस्लिम 30 से 35 हजार, ओबीसी करीब 24 हजार हैं. इस सीट पर मुस्लिम मतदाता मात्र 4 फीसदी हैं. इस सीट पर दलित समाज के लोग वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा हैं, जो कि हार जीत का बड़ा अंतर तय करते है. सरकारी कर्मचारी बाहुल्य इस सीट पर 75 प्रतिशत मतदाता सामान्य वर्ग व ओबीसी के हैं. इस सीट पर करीब 2 लाख 31 हज़ार मतदाता है.
बीजेपी में कई दावेदार
इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में कई दावेदार है. बीजेपी मीडिया टीम की मुखर प्रवक्ता नेहा बग्गा, संघ की पसंद माने जाने वाले श्रवण मिश्रा, बीजेपी संगठन के प्रमुख पदाधिकारी राहुल कोठरी और तीन बार के इसी सीट से विधायक रह चुके उमाशंकर गुप्ता (बेटी के लिए) दावेदारी करते हुए नज़र आ रही हैं.
कांग्रेस में भी कई दावेदार
कांग्रेस से पीसी शर्मा एक बार फिर दावेदारी करते हुए नज़र आ सकते है. संजीव सक्सेना जो की बीजेपी से एक बार हार का सामना कर चुके है ज़ोरो शोरों से टिकट की दावेदारी में जुटे है , संजीव सक्सेना के भाई फ़िलहाल दक्षिण पश्चिम से ही पार्षद है , कांग्रेस सर्वे के मुताबिक चेहरे पर दांव लगा सकती है
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