सिहावा। वक्त भी उनकी मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते हैं. अपने इसी जज़्बे से कुछ लोग असंभव को भी संभव बना देते हैं. ऐसे ही लोग इतिहास बनाते हैं और लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बन जाते हैं. ऐसा ही एक आदिवासी किसान ने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और बंजर जमीन को अपनी मेहनत से उपजाऊ बना दिया.

हम बात कर रहे हैं नगरी विकासखंड के ग्राम मारदापोटी में रहने वाले आदिवासी किसान राधेश्याम नेताम की. नेताम ने तकरीबन 15 साल पहले मारदापोटी में चार एकड़ जमीन खरीदी थी लेकिन वह जमीन पूरी तरीके से बंजर निकली. अपनी पत्नी रम्हीन के साथ मिलकर उन्होंने उस बंजर खेत में कड़ी मेहनत की और उसे खेती करने योग्य बनाया. पांच साल पहले उसने उसने सिंचाई के लिए खेत में नलकूप खनन करवाया लेकिन बोर असफल रहा. इसकी वजह से उनका खेत रबी के मौसम में बंजर रहने ला. केवल मानसूल की बारिश के भरोसे धान की खेती कर पाते थे लेकिन एक फसल से घर की जरुरतें पूरी नहीं हो पा रही थी.

इस बीच नेताम को मालूम हुआ कि राज्य सरकार ने ऐसे इलाकों के किसानों के लिए सौर सुजला योजना की शुरूआत की है, जहां सिंचाई के लिए खेतों तक परम्परागत बिजली पहुंचाने में कई तरह की दिक्कते आती है.  नेताम ने इसके लिए कृषि विभाग और क्रेडा के अधिकारियों से सम्पर्क किया. उन्हें अधिकारियों ने बताया कि इस योजना में आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग के किसानों को तीन हॉर्स पावर का साढ़े तीन लाख रूपए मूल्य का सोलर सिंचाई पम्प सिर्फ सात हजार रूपए में, अन्य पिछड़े वर्ग के किसानों को सिर्फ 12 हजार रूपए में और सामान्य वर्ग के किसानों को केवल 18 हजार रूपए में दिया जा रहा है.

नेताम ने इसके लिए आवेदन किया और उन्हें तत्काल सोलर सिंचाई पम्प की स्वीकृति मिल गई. वे धमतरी जिले के पहले ऐसे किसान हैं, जिन्हें सबसे पहले इस योजना का लाभ मिला है. राधेश्याम नेताम ने इस योजना का लाभ उठाकर पहली बार अपने चार एकड़ खेतों में मूंग और बैगन सहित अन्य साग-सब्जियों की खेती शुरू की है.  इस योजना के तहत उन्हें तीन हॉर्सपावर का साढ़े तीन लाख रूपए का सोलर पम्प सिर्फ 10 हजार रूपए में दिया गया है. पम्प के लिए उन्हें सिर्फ सात हजार रूपए देने पड़े हैं, शेष तीन हजार रूपए का टैक्स उसमें जुड़ा है.

नेताम ने बताया कि वे अब तक अपने खेतों में सिर्फ मानसून के दौरान खरीफ मौसम में धान की खेती करते थे. सौर सुजला योजना में सोलर पम्प मिलने के बाद उन्होंने रबी मौसम के दौरान खाली पड़ी इस जमीन पर पहली बार दलहन मूंग, बैगन, बरबट्टी और भिंडी सहित कुछ भाजियों की भी खेती की है. फसलों की सुरक्षा के लिए उन्होंने पत्थर और मिट्टी से अपने खेतों की घेराबंदी भी कर दी है. उन्होंने दो महीने पहले फरवरी में मूंग बोया था. अब तक उन्हें दो क्विंटल मूंग की पैदावार मिल चुकी है और अगले एक-डेढ़ महीने में और तीन क्विंटल मिलने की उम्मीद है. मूंग और अन्य सब्जियों की फसल को वे जिला मुख्यालय धमतरी के बाजार में अच्छी कीमत पर बेचेंगे.

प्रदेश भर में उनके जैसे अब तक लगभग छह हजार 988 किसानों के खेतों में सौर सुजला योजना के सिंचाई पम्प पहुंच गए हैं और उनमें भी हरियाली फैलने लगी है. सौर सुजला योजना से छत्तीसगढ़ के दूर-दराज आदिवासी बहुल इलाकों के गांवों में बंजर धरती पर रबी मौसम में और इस तेज गर्मी में भी हरियाली खिलने लगी है