दंतेवाड़ा. जिले में चल रहे निर्माण कार्य सुर्खियों में हैं. सुर्खियों में होने की वजह बेहद दिलचस्प है और कारगुजारियों से भरी हुई है. जितनी भी निर्माण एजेंसी हैं वे सभी नियम विरुद्ध कार्य कर रही हैं. शासन की गाइडलाइन अधिकारियों के कुटिल कुचक्र के चलते दराज में फड़फड़ा रही है. अधिकारी मनमानी करने में लगे हुए हैं. आरईएस विभाग से एक ऐसा ही मामला सामने आया है.

दरअसल, मां दंतेश्वरी मंदिर किनारे बह रही शंखनी-डंकनी नदी का फ्रंट सवांरने का कार्य चल रहा है. नदी के किनारे को काट कर रिटर्निंग वाल बनाई जा रही है. इस कार्य का टेंडर विभाग ने जारी किया है. इस निविदा में लिखा है कि 21 जुलाई 2023 से 26 जुलाई तक निविदा दस्तावेज और अन्य जानकारी कर्यालय में आकर शाम पांच बजे तक ले सकते हैं. उरोक्त कार्य की निविदा की सामान्य शर्तो का पालन करना होगा. 763 लाख का इस गुप्त टेंडर का सार्वजनिक होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. लेकिन कड़े प्रशासनिक रवैया के सामने बड़े-बड़े ठेकेदार चूं तक नहीं कर पा रहे हैं. डी ग्रेड के ठेकेदारों पर यह विभाग मेहरबान है. जिन कामों के लिए डी ग्रेड के ठेकेदार आयोग्य हैं, बावजूद इसके विभाग नियमों को ताक पर रखकर उनसे काम करवा रहा है. इधर ए, बी और सी ग्रेड के ठेकेदार कार्यालय में आकर निविदा फॉर्म लेने के लिए चप्पल घिस रहे हैं. चाहकर भी निविदा फॉर्म नहीं ले पा रहे हैं. बस दबी जुबान से एक बात कानों में आती है कि प्रशासन अपने चहेतों को रेवड़ी बांट रहा है.

रायपुर के ठेकेदार को मिला काम

सूत्रों की बात माने तो रिवर फ्रंट को बड़ा ही भव्य बनाया जाना है. मंशा अच्छी होने पर किसी को संदेह नहीं है. लेकिन कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि ये कार्य मौखिक रूप से रायपुर के ठेकेदार को दिया गया है और काम लोकल डी ग्रेड का ठेकेदार कर रहा है. हास्यास्पद ये है कि इस कार्य की निविदा प्रक्रिया अभी हुई है और काम एक महीने से चल रहा है.

सांसद प्रतिनिध ने अपनी पत्नी के नाम लिया लायसेंस

पूरे जिले में संसद प्रतिनिधि के रौब की चर्चा हो रही है. लोगों के बीच चर्चा है कि अब तो और शक्ति इस सांसद प्रतिनिधि को मिल गई है. इस प्रतिनिधि ने अपनी पत्नी के नाम डी ग्रेड ठेकेदारी का लाइसेंस लिया है. डी ग्रेड तो नाम के लिए है. कार्य इस लाइसेंस पर ए ग्रेड के मापदंडों का चल रहा है. सूत्रों की बात मानें तो मौजूदा वक्त में इस लाइसेंस पर 20 करोड़ से अधिक के कार्य चल रहे हैं. जो पूरी तरह से शासन की गाइडलाइन को खुली चुनौती दे रहे हैं.

एसडीओ की सफाई

जल संसाधन विभाग एसडीओ शंकर ठाकुर ने मामले को लेकर कहा कि जो काम पहले से चल रहा है उसकी निविदा पूर्व में हो चुकी है. ये जो निविदा अभी निकाली गई है, वह अलग है. हालांकि पूर्व में हुई निविदा के बारे में जानकारी मांगने पर आरईएस ठाकुर ने असमर्थता जताते हुए इनकार कर दिया और कलेक्टर से बात करने की सलाह दी.