ब्रिटेन और जापान के साइंटिस्ट नैनो रोबोट तैयार कर रहे हैं. ये रोबोट शरीर के अंदर तैनात किए जाएंगे. नैनो रोबोट शरीर में बीमारी को ढूंढकर उस बीमारी का इलाज भी खुद ही करेंगे. इंसानों पर पहली बार इसका परीक्षण अगस्त में होगा.

ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स विभाग में प्रोफेसर पिएत्रो वाल्डास्ट्री ने 20 अलग-अलग प्रकार के नैनो रोबोट तैयार किए हैं. इन नैनो रोबोट में कैमरे के साथ-साथ सेंसर भी लगे हैं. कुछ नैनो रोबोट में रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर भी लगा हुआ हैं, जिससे सर्जन ये देख सकें कि शरीर के अंदर क्या हो रहा है और फिर सर्जन इन रोबोट को आदेश दे सकें. नैनो रोबोट दिखने में कैप्सूल जितने आकार के होते हैं. ये रोबोट इतने छोटे होते हैं कि इन्हें आराम से निगला जा सकता है. अगस्त महीने में प्रोफेसर वाल्डास्ट्री के डिजाइन किए गए एक नैनो रोबोट का इंसानों पर पहली बार परीक्षण किया जाएगा.

कैप्सूल से भी छोटे हैं रोबोट

कैप्सूल रोबोट सिलेंडर के आकार का छोटा-सा रोबोट है. इससे दर्द रहित इलाज होगा साथ ही रोगी को बेहोश भी नहीं करना पड़ेगा. चिकित्सा के क्षेत्र में इस्तमाल किए जाने वाले इस नैनो रोबोट को कोलोनोस्कोपी का दर्द-मुक्त निवारण करने के मकसद से डिजाइन किया गया है. जहां असामान्यताओं की जांच के लिए कैमरे के साथ एक ट्यूब को कोलन में डाला जाता है.

कैप्सूल रोबोट का परीक्षण चूहों पर रहा सफल

वैज्ञानिकों ने चूहों के मूत्राशय में स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन से पहले से लोड किए गए हजारों माइक्रोरोबोट तैनात किए हैं. परीक्षणों से पता चला कि वे मूत्राशय की दीवार से जुड़ने और अपनी जगह पर बने रहने में सक्षम थे और फिर दवा पहुंचाते थे. इससे क्षेत्र में प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सफलतापूर्वक सक्रिय किया जाता था. ऐसे में कैप्सूल रोबोट का परीक्षण चूहों पर सफल रहा.

उम्र बढ़ाने में करेंगे मदद

वैज्ञानिकों का मानना है कि नैनो रोबोट उम्र बढ़ाने और बीमारी को दूर करने में मदद करेंगे. सेलुलर स्तर पर मानव शरीर का इलाज भी करेंगे. उनका ये भी दावा है कि इस तरह की नैनो तकनीक लोगों को पतले और ऊर्जावान रहने में मदद करेगी.