कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 2 अप्रैल 2018 को हुए उपद्रव हिंसा के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास की धारा को हटा दिया है। 19 आरोपियों के खिलाफ थाटीपुर थाना पुलिस ने मामला दर्ज था।
ग्वालियर में 2 अप्रैल का दिन शायद ही कोई भुला होगा। 2 अप्रैल 2018 को मेट्रो सिटी एक्ट को लेकर ग्वालियर चंबल में शुरू हुए जनजाति दंगे ने पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में ले लिया था। इस दौरान शहर में दो युवक समेत ग्वालियर चंबल अंचल में सात लोगों की मौत की खबर भी सामने आई थी। इस दंगे में करीब 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। वहीं दंगे के बाद 236 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सिर्फ ग्वालियर में ही 45 लोगों पर FRI दर्ज की गई थी।
अब इस मामले को लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। उपद्रव के दौरान चल रही फायरिंग में राकेश नाम के व्यक्ति को गोली मारने की बात सामने आई थी। मिली जानकारी के अनुसार जब पुलिस ने जांच की तो उन्हें राकेश नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला और ना ही कोई गोली मिली। वहीं मामले में 31 गवाहों में से सिर्फ चार गवाहों ने ही राकेश नाम के व्यक्ति को गोली मारने की पुष्टि की थी।
इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आईपीसी की धारा 307 को हटाया। हिंसा फैलाने के उद्देश्य दुकानों होटलों में तोड़फोड़ लोगों के वाहन को क्षतिग्रस्त करना और पथराव और फायरिंग करने के आरोप में कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
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