रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजनीति का सबसे बड़ा चर्चित चेहरा यदि कोई है, तो वह हैं अजीत जोगी. जोगी की सियासत की यही तस्वीर है, जहां जाते हैं, वहां सुर्खियां बटोर लेते हैं. ऐसी ही एक तस्वीर आज उस वक्त देखने को मिली, जब राजधानी के करीब मुजगहन गांव में जेसीसी के खेत चलो अभियान का आगाज करने अजीत जोगी पहुंचे थे.
खेतों में उतरकर कार्यकर्ता किसानों की मदद करते इससे पहले जोगी ने गांव में प्याज, नींबू आचार, टमाटर की चटनी, आलू- भाटा और रखिया बड़ी की सब्जी के साथ बासी खाया. दरअसल छत्तीसगढ़ में बासी की अपनी अलग महत्ता है. ग्रामीण अंचलों में बासी से न केवल दिन की शुरूआत होती हैं, बल्कि यह ग्रामीण परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा भी है. ऐसे में जोगी की सियासत बासी के जरिए ग्रामीणों के दिलों में उतरने की होती नजर आई.
तबियत दुरूस्त होते ही हाल ही में अजीत जोगी 52 दिन दिल्ली में बिताने के बाद छत्तीसगढ़ लौटे हैं. चुनाव आयोग ने हल चलाता किसान चिन्ह उनकी पार्टी को आबंटित किया है, लिहाजा आंदोलन की शुरूआत खेत से शुरू करने की रणनीति के तहत खेत चलो अभियान शुरू किया गया.
इस अभियान के तहत जेसीसी के कार्यकर्ता हर दिन चार घंटे खेत में जाकर ब्यासी और रोपा के काम में किसानों का हाथ बटाएंगे. जब तक अभियान चलेगा एक खेत में कम से कम पार्टी के 10 सदस्य जाएंगे. वहां एक घंटा श्रमदान करने के बाद दूसरे खेत में जाएंगे. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सुब्रत डे ने बताया कि पार्टी की रणनीति इस अभियान के जरिए छत्तीसगढ़ के हर खेत और हर किसान तक पहुंचने की है.
आज से शुरू हुआ यह अभियान हरेली पर्व यानी 29 जुलाई को खत्म होगा. मुजगहन पहुंचे जेसीसी सुप्रीमो अजीत जोगी ने अपने चुनाव चिन्ह वाला बिल्ला किसानों को लगाया. किसानों के साथ जेसीसी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता खेत में रोपाई और ब्यासी के काम में जुट गए.
मुजगहन में जोगी, बिलासपुर में अमित, राजनांदगांव में ऋचा
खेत चलो अभियान के तहत न केवल जेसीसी के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि पूरा जोगी परिवार भी मैदान में कूद पड़ा है. अजीत जोगी खुद रायपुर के करीब मुजगहन में रोपाई करते दिखे, तो बेटे अमित जोगी बिलासपुर और बहू ऋचा राजनांदगांव में अभियान का हिस्सा बनीं. रविवार को ही अजीत जोगी ने ऋचा जोगी को राजनांदगांव का प्रभारी नियुक्त किया है.
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