कटघोरा। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके साथ प्रकृति ने अन्याय किया है. जन्म से ही उन्हें बाकी लोगों से अलग बनाया लेकिन इसके बावजूद बहुत से लोगों ने अपनी इस कमजोरी को अपने जीवन में जरा भी हावी नहीं होने दिया. सारी मुश्किलों और तकलीफों से लड़कर इन लोगों ने अपना एक मुकाम बना लिया. इनके संघर्ष की दास्तां आम लोगों के लिए एक प्रेरणा है. खास तौर से उनके लिए जो अपनी नाकामियों के लिए ईश्वर को दोष देने से पीछे नहीं हटते.

कोरबा जिले के कटघोरा स्थित ग्राम जवाली में रहने वाले छत्रपाल सिंह कंवर की पूरी जिंदगी स्याह रंग से रंगी हुई है. काला रंग के अलावा उन्होंने कोई दूसरा रंग कभी नहीं देखा दरअसल छत्रपाल जन्म से ही नेत्रहीन है. अपनी दोनों आंखों से देख नहीं पाने वाला दिव्यांग छत्रपाल की जिंदगी बचपन से अब तक बेहद ही चुनौती और संघर्ष से गुजरी है. संघर्ष से जूझते हुए उसने अपना मुकाम हासिल करने हर पल कोशिश किया. इसी का परिणाम था कि छत्रपाल अब ग्रेज्युएशन की पढ़ाई पूरी करने वाला है. दोनों आंखों से ब्लांइड होते हुये भी शिक्षित होने और अपने पैरों पर खड़ा होने की ललक ने उसे बाकी सबसे अलग बनाती है.

छत्रपाल अपनी कमजोरियों की वजह से किसी के ऊपर बोझ बनकर नहीं जीना चाहता था. इसके लिए वह खुद का व्यापार करना चाहता था. जो कि उसके लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. व्यापार के लिए उसे पैसों की जरुरत थी लिहाजा उसने कलेक्टर जनदर्शन में कलेक्टर मोहम्मद कैसर अब्दुल हक को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए आवेदन सौंपा. आवेदन में उसने कलेक्टर से लोन दिलाने की मांग की. आवेदन पढ़ने के बाद कलेक्टर ने उसे उसकी मांग पूरी करने का आश्वासन देकर उसे वापस भेज दिया.

कलेक्टर ने उस आवेदन को समाज कल्याण विभाग के माध्यम से निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम के पास भेज दिया. आंखों से दिव्यांग छत्रपाल सिंह ने साइबर कैफे संचालित करने ऋण की मांग की थी. उसके इस आवेदन पर छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम द्वारा चार लाख पचास हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई. कलेक्टर के हाथों राशि प्राप्त होने पर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हुये छत्रपाल ने आभार जताते हुये कहा कि कलेक्टर की पहल से अब वह अपने पैरों पर खड़ा हो पायेगा.

उसने बताया कि वह स्पेशल सॉप्टवेयर से कम्प्यूटर में काम करता है. इसलिये साइबर कैफे जैसे व्यवसाय को चुना. इससे वह फोटो प्रिटिंग, एडिंटिंग, इंटरनेट संबंधी कार्य, फोटोकाफी, मोबाइल रिचार्ज आदि कर सकता है. छत्रपाल ने बताया कि उसके इस व्यवसाय में उसके भाई लोग भी सहयोग करेंगे। उसने बताया कि वह विशेष यूनिवर्सिटी से हरियाणा के अंबाला कैंट से ग्रेज्युएशन कर रहा है. छत्रपाल गाना गाने का शौकीन भी है और समय मिलने पर  वह आर्केस्ट्रा में भी गाना भी गाता है.  शासन से अपने मनपंसद व्यवसाय साइबर कैफे के लिये राशि मिलने पर उसने राज्य शासन का आभार जताया.

जब कलेक्टर मोहम्मद कैसर अब्दुल हक ने छत्रपाल सिंह को चार लाख पचास हजार रूपये का चेक दिया तो वह काफी खुश था. उसने कलेक्टर को बताया कि शासन से जो राशि मिली है उससे अपने भाईयों के सहयोग से गांव में ही एक साइबर कैफे की दुकान संचालित करेगा. कलेक्टर ने इसके लिए उसे शुभकामनाएं दी.