नई दिल्ली . दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है. दिल्ली सरकार इस विधेयक का विरोध कर रही है. सोमवार को बिल लोकसभा में पेश होता है तो सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिल सकता है.
विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया भी इस विधेयक का विरोध करेगा. इस विधेयक का नाम एनसीटी दिल्ली संशोधन बिल 2023 रखा गया है. केंद्र सरकार इससे जुड़ा अध्यादेश लाई थी.
दिल्ली सेवा बिल में नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाने का प्रावधान है. दिल्ली के मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे. अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्य सचिव एक्स ऑफिशियो सदस्य, प्रिसिंपल होम सेक्रेटरी मेंबर सेक्रेटरी होंगे. अथॉरिटी की अनुशंसा पर एलजी फैसला करेंगे लेकिन वे ग्रुप-ए के अधिकारियों के बारे में संबधित दस्तावेज मांग सकते हैं. अगर अथॉरिटी और एलजी की राय अलग-अलग होगी तो एलजी का फैसला ही अंतिम माना जाएगा.
संसद में गतिरोध जारी रहने के आसार संसद में पहले से ही मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है. पिछले डेढ़ सप्ताह के दौरान संसद में पक्ष-विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के आगे भी बने रहने के आसार हैं. जिस प्रकार विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर आक्रामक है, उससे प्रतीत होता है कि अगला सप्ताह भी हंगामे की भेंट चढ़ सकता है. अब तक सातों दिन संसद सत्र हंगामे की भेंट चढ़ चुका है.
केंद्र सरकार ने 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई थी. इस अध्यादेश के जरिए दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया गया है. मतलब, दिल्ली सरकार अगर किसी अधिकारी का ट्रांसफर करना चाहती है तो उसे उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी होगी. अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अध्यादेश से जुड़े बिल को संसद में पास कराना है क्योंकि तभी यह कानून का रूप ले पाएगा. उधर सरकार के आगे पहले से ही मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष का सामना करना चुनौती बना हुआ है.