नई दिल्ली . दिल्ली में वाहनों की प्रदूषण जांच महंगी हो सकती है. दिल्ली परिवहन विभाग ने वाहन प्रदूषण जांच (पीयूसी) की दर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है.
मूल्यांकन और सभी हितधारकों से बातचीत के बाद नई दर तय की जाएंगी. उधर, पीयूसी केंद्र संचालकों ने भी सरकार से दर 150-300 रुपये करने की मांग की है. दिल्ली में 950 से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र हैं. अभी दिल्ली में दोपहिया वाहनों की प्रदूषण जांच पर 60 रुपये, पेट्रोल चालित चार पहिया वाहन पर 80 रुपये और डीजल चालित चार पहिया वाहन की प्रदूषण जांच कराने पर 100 रुपये देने होते हैं. इस पर अलग से 18 फीसदी की जीएसटी भी लगती है. दिल्ली में वर्ष 2022 में 50 लाख प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र जारी हुए थे. प्रदूषण जांच न कराने पर 10 हजार रुपये के चालान का प्रावधान है. बीएस-6 वाहनों को वर्ष में एक बार, जबकि बीएस-4 वाहनों की हर छह माह में एक बार प्रदूषण जांच करानी होती है.
ये बढ़ोतरी दोपहिया और कार समेत सभी प्रकार के वाहनों पर लागू होगी. जिसे महंगाई दर के हिसाब से बढ़ाया जाएगा. बता दें कि राजधानी में पिछले 11 वर्षों के दौरान महंगाई दर में 65 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान प्रदूषण जांच शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं हुई है. इसलिए महंगाई दर के आधार पर प्रदूषण के जांच शुल्क को बढ़ाने की तैयारी है.
PUC संचालकों ने की दरों को बढ़ाने की मांग
महंगाई के कई गुना बढ़ने के बाद भी प्रदूषण जांच की दरों में बदलाव नहीं होने से PUC सेंटर संचालकों के लिए यह कार्य घाटे का सौदा साबित होता जा रहा है. खर्च में कई गुना वृद्धि होने से PUC संचालक लंबे समय से प्रदूषण जांच शुल्क को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इसलिए परिवहन विभाग अब PUC जांच का शुल्क बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए नए शुल्क तय किए जाएंगे, लेकिन कोशिश होगी कि लोगों की जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े और PUC सेंटर संचालकों को भी नुकसान न हो.
वर्तमान में दिल्ली में कुल 953 PUC जांच केंद्र हैं, जहां पेट्रोल- डीजल और सीएनजी से चलने वाले वाहनों के प्रदूषण की जांच की जाती है. अभी दोपहिया की प्रदूषण जांच का शुल्क 60 रुपये, जबकि पेट्रोल कारों की प्रदूषण जांच का शुल्क 80 रुपये और डीजल चालित गाड़ियों की प्रदूषण जांच का शुल्क 100 रुपये लगता है. इसके अलावा इस पर अलग से 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगता है.
जुर्माना कई गुना बढ़ा परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदूषण जांच कराने की दर वर्ष 2011 में बढ़ाई गई थी, जबकि प्रदूषण जांच नहीं कराने वाले वाहनों का जुर्माना कई गुना बढ़ गया है. सब कुछ ठीक रहा तो अगले एक महीने में बढ़ी हुई दरें तय कर दी जाएंगी.