फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. अपनी तकदीर खुद बदल रही हैं. सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रही हैं. महिलाएं खेती किसानी से लखपति बन रही हैं. उनकी सफलता को देखने खेतों में लोगों की भीड़ आती है. अब कृषि के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं आगे आ रही हैं. सफलता की नई इबारत लिख रही हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की भगवंतीन बाई की है, जिसने कभी हार नहीं मानी और कृषि के जरिए अपना मुकाम हासिल किया.

पोषण बाड़ी योजना से बदली तकदीर

छत्तीसगढ़ शासन के अन्तर्गत उद्यान विभाग के माध्यम से संचालित पोषण बाड़ी योजना से लोगों तक हरी और ताजी साग सब्जी आसानी से मिल रही है. गांव की धरोहर नरवा गरवा घुरूवा और बाडी को सहेजने का कार्य छत्तीसगढ़ शासन कर रही है. इसी क्रम में गरियाबंद जिले में ग्रामीण महिलाएं पोषण बाड़ी योजना का लाभ उठाकर अपनी बाडी में हरी सब्जियां की पैदावार कर रही हैं.

भगवन्तीन बाई कमा रही मुनाफा

महिलाएं ताजी सब्जियों को स्थानीय हाट बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। इन्हीं महिलाओं में ग्राम देवरी की भगवन्तीन बाई भी है. अपनी बाड़ी में सब्जी उत्पादन से हर माह अच्छा मुनाफा कमा रही है. उन्होंने बताया कि पहले वे अपने खेत में पारम्परिक तरीके से खेती किसानी करती थी, जिससे अधिक कमाई नहीं हो पाती थी.

विभाग ने की मदद

उन्होंने अपने बाड़ी में सब्जियों की खेती करने के विचार से उद्यानिकी विभाग द्वारा गांव में बाड़ी विकास के लिए कराये जा रहे सर्वे में अपना नाम दर्ज करवाया. विभाग ने उन्हें विभिन्न सब्जियों के बीज, सब्जियों का थरहा, वर्मी कंपोस्ट खाद उपलब्ध कराए. भगवन्तीन बाई ने उद्यान विभाग के मार्गदर्शन में अपने 0.20 हेक्टेयर रकबा के बाड़ी में अपनी मेहनत और लगन से सब्जी लगाई.

प्रतिमाह 25 से 30 हजार का लाभ

उन्होंने बताया कि सब्जी की अच्छी पैदावार से स्थानीय हाट बाजार में विक्रय से प्रतिमाह 25 से 30 हजार लाभ कमा रही है. इसके साथ अपनी बाड़ी से ही उन्हें साल भर के लिए सब्जी मिल जा रही है. साथ ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों को रोजगार भी मिल गया है.

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