बीजापुर. 3 जुलाई से हड़ताल पर बैठे बीजापुर नेशनल हेल्थ मिशन के 211 संविदा कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की करवाई के बाद संगठन ने कार्रवाई की घोर निन्दा की. इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए हड़ताली कर्मचारियों से संवाद स्थापित करने की बजाय करवाई को अलोकतांत्रिक बताया. संगठन ने नाराज होकर घड़ी चौक रायपुर में भारतीय संविधान के प्रणेता बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा के सामने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकत्रित होकर राजभवन की ओर कूच किया. संगठन ने इच्छा मृत्यु का पत्र राज्यपाल के नाम से राजभवन में सौंपते हुए इच्छा मृत्यु मांग की, क्योंकि 211 परिवार के लिए नौकरी नहीं उनके रोजी-रोटी को छीना गया.

बता दें कि, पिछले 29 दिनों से रायपुर में अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है. हड़ताल को वापस लेने के लिए सरकार ने एस्मा भी लगाया था. इसके बाद भी हड़ताल जारी रखी गई. एस्मा का हवाला देते हुए 211 लोंगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी का कहना है कि, सरकार संवाद स्थापित करने की बजाय दमन से हड़ताल तुड़वाना चाहती है. जबकि लोकतंत्र में संवाद ही समाधान का रास्ता है.

बीजापुर जिला अध्यक्ष रमाकांत पुनेठा ने बताया कि, बीजापुर जिला संवेदनशील और आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में हमारा स्वास्थ्य अमला जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराते हैं, ऐसे में उन पर असंवेदनशीलता पूर्वक विचार करने की अपेक्षा इस करवाई की हम घोर निन्दा करते हैं.

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