गौरव जैन, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही। कार्य में लापरवाही बरतने की सजा के तौर पर जिले में एक अधिकारी के साथ दो कर्मचारियों पर निलंबन की गाज गिरी है. शासन-प्रशासन की इस कार्रवाई से जिले के सरकारी कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है.

छात्रावास संचालन में अनियमितता बरतने और अनधिकृत रुप से छात्रावास में प्रवेश करने पर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ने दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. आदेश के तहत प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास कोरजा विकास खण्ड गौरेला के प्रभारी, छात्रावास अधीक्षक उत्तरा दिवाकर को छात्रावास संचालन में अनियमितता की शिकायत पर तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. निलंबन अवधि में दिवाकर का मुख्यालय कार्यालय विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी गौरेला रहेगा. निलंबन अवधि में उन्हे नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा.

इसी तरह आदिवासी बालक आश्रम पंडरीपानी में पदस्थ आकस्मिक निधि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दिनेश कोरी के 1 अगस्त रात में प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास कोरजा में अनाधिकृत प्रवेश करने की शिकायत हुई थी. निरीक्षण उपरांत शिकायत सही पाए जाने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत होने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. निलंबन अवधि मेकोरी का मुख्यालय कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत गौरेला रहेगा.

मुख्य नगर पालिका अधिकारी निलंबित

वहीं नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की ओर से जारी आदेश में पेंड्रा नगर पंचायत के मुख्य नगरपालिका अधिकारी अंकुर पांडे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. अंकुर पांडे को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा से संबंधित कार्यों के प्रस्ताव प्रेषित करते हुए निविदा की कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर से मार्गदर्शन लेने के बाद भी शासन के निर्देशों की अवहेलना करने और कार्य को विलंबित करने का प्रयास किए जाने का उत्तरदाई पाते हुए अंकुर पांडे के खिलाफ निलंबिन की कार्रवाई की गई है. निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय संयुक्त संचालक नगरी प्रशासन एवं विकास, बिलासपुर रहेगा.