रायपुर। छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर बस्तर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जगदलपुर के मंच से छत्तीसगढ़ी में लोगों को अभिवादन करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की. राष्ट्रपति ने कहा छत्तीसगढ़ के भाई बहनी मन ल जय जोहर. कल जब मैं दंतेवाड़ा गया था तब मेरे संबोधन को जन विहान कहकर स्वीकार किया गया. बस्तर दौरे में यहां की कला संस्कृति को देख राष्ट्रपति अभिभूत हो गए उन्हों अपने भाषण में इसका जिक्र करते हुए कहा कि बस्तर की कला संस्कृति को संजोकर रखने के लिए मैं बधाई देता हूँ. छत्तीसगढ़ आकर मुझे अपनापन लगता है. पिछली 25 जुलाई 2017 को मेरे पद के निर्वहन को एक साल पूरा हुआ है. मैं चाहता था कि दिल्ली से दूर बस्तर आकर आदिवासी भाई बहनों के साथ वक़्त बिताऊं.
राष्ट्रपति इससे पहले भी एक बार बस्तर दौरे पर आ चुके हैं. जिसकी याद ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि 15-16 साल पहले मैं स्व बलिराम कश्यप के निमंत्रण पर आया था. तब के बस्तर और आज के बस्तर के विकास में जमीन आसमान का अंतर है. स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि जीवन दूसरों के लिए जिया जाए वही जीवन है. इस क्षेत्र में रामकृष्ण मिशन का सेवा भाव को लेकर चलाये जा रहे कार्यक्रम देखकर लगता है कि यदि यहां के लोगों का सहयोग नहीं होता तो ऐसी सेवा नहीं की जा सकती. राष्ट्रपति ने कहा कि यहां के भाई बहनों से जो स्नेह मिला उसकी यादगार हमेशा बनी रहेगी.  बलिराम कश्यप को बस्तर की आवाज कहा जाता था. आज जब उनके नाम से इस अस्पताल का लोकार्पण किया जा रहा है तो मुझे हर्ष हो रहा है. उनसे मेरा निकट का संबंध रहा है. हमारे देश की आत्मा ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में बसती है. अगर कोई हमारी जड़ों को जानना चाहता है तो बस्तर जैसी आदिवासी अंचलों में जरुर आना चाहिए. इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी भाई-बहन विकास की नई गाथा लिख रहे हैं.
मंच से संबोधन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नक्सलवाद के मसले पर कहा हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार द्वारा बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के किए जा रहे प्रयास की भी सराहना की. प्रशासन के लोगों ने भ्रमित युवाओं को भटकने से रोका है. सरकार की इस दिशा में काम की तारीफ करता हूं. नक्सल मोर्चा पर शहीद जवानों को नमन करता हूँ.
कारगिल दिवस पर आज मैं सेना के परिजनों को भी सलाम करता हूँ. हिंसा और आतंक के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए कई अहम प्रयास किये गए. सुरक्षा बलों के जवानों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया है. हम चैन से सोते हैं और हमें डर नहीं लगता तो वो सियाचिन जैसी दुर्गम जगहों पर तैनात जवानों की वजह से. सेना के जवानों के लिए जितना हो सके करना चाहिए.