राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की तैयारी शुरू हो गई है। चुनावी साल में प्रदेश की दोनों पर प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग तेज हो गई। इसी कड़ी में दोनों पार्टी द्वारा सोशल मीडिया पर आरोप प्रत्यारोप के तीर छोड़े जा रहे हैं। एक ओर जहां सत्ताधारी बीजेपी ने ट्वीट कर कांग्रेस पर आरोप लगाया है, वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी पर पलटवार किया है। बीजेपी ने ट्विटर पर लिखा है कि- ‘कांग्रेस के DNA में है झूठ, फरेब और धोखा’। बीजेपी के इस ट्वीट पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा है कि- ‘भ्रष्टाचार की चल रही रेल, जनता का निकल रहा तेल’।

मध्यप्रदेश में डबल अटैक की सरकार

पीसीसी टीफ कमलनाथ ने भी ट्विटर पर बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि- मध्यप्रदेश में डबल इंजन की नहीं, बल्कि जनता पर डबल अटैक की सरकार चल रही है। जनता की गाढ़ी कमाई की लूट और अपने कमीशन एजेंटों को छूट, डबल अटैक की रणनीति है। शिवराज सरकार जनता का शोषण करने की योजनाएं लाती है और केंद्र में बैठी सरकार उस पर मुहर लगाती है। ठेका और कमीशन के इस डबल गेम ने मध्य प्रदेश की जनता को डबल गड़बड़ में फंसा दिया है। प्रदेश की जनता इस झांसे को समझ गई है और डबल ताकत से इस डबल अटैक को नाकाम करने वाली है।

मेवात की घटना पर दिग्विजय ने उठाए सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री दिगिव्जय सिंह ने भी ट्वीट कर मेवात की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि- लेकिन हथियारों को लेकर जुलूस नहीं निकालना चाहिए था। इस प्रकार के अदालत के निर्देश भी हैं। इसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा सरकार की है। जैसी उम्मीद थी @VHPDigital@BJP4India, @BajrangDalOrg को हिंदू मुसलमान करने का मौका मिल गया। सारे मुद्दे मणिपुर, महंगाई, बेरोजगारी समाप्त अब केवल हिंदू मुसलमान का मुद्दा रह गया। यही तो @narendramodi जी चाहते थे। क्या यह पूरी घटना प्रायोजित नहीं थी?

‘जातिगत सर्वेक्षण’ से ‘आर्थिक न्याय’ का रास्ता खुलेगा

भाजपा ‘जातिगत सर्वेक्षण’ को क़ानूनी तर्कों में उलझाकर बंद करवाना चाहती थी लेकिन माननीय पटना उच्च न्यायालय ने इस पर लगी रोक को हटाकर हर वंचित, शोषित के लिए ‘सामाजिक न्याय’ ही नहीं बल्कि आने वाले समय में ‘आर्थिक न्याय’ का भी रास्ता खोल दिया है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग जब अपने अधिकारों के लिए मिलकर एक साथ खड़े हो जाएँगे तो ये प्रभुत्ववादी सोच के गिनती के लोग सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली इस गिनती-गणना के आगे कहीं नहीं टिकेंगे।

भाजपा सामाजिक हकमारी का प्रतीक

जातीय जनगणना सबके हक की आनुपातिक हिस्सेदारी की राह खोलेगी और सच में लोकतंत्र की दिशा नीचे-से-ऊपर की ओर जाएगी। भाजपा की सामंती सोच गैर-बराबरी और दमन की रही है, इसीलिए वो गरीब-कमज़ोर के हक को मारने के लिए जातीय जनगणना की विरोधी है। जनता जातीय जनगणना को रोकनेवाली भाजपा को अगले चुनाव में इस तरह बहिष्कृत करेगी कि मतगणना के दिन न तो उनके नेता दिखाई देंगे और न ही उनके प्रत्याशी। भाजपा सामाजिक हकमारी का प्रतीक है।

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