रायपुर। परिवहन विभाग के तमाम भ्रष्टाचार के किस्सों के बीच दबंग अपना अलग ही साम्राज्य बनाए हुए हैं, जिसका खामियाजा गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक करोड़ों रुपए के राजस्व नुकसान के जरिए भुगत रहे हैं. इस गड़बड़झाला में केवल चौकियों में तैनात परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही नहीं बल्कि आसपास चलने वाले ढाबे-रेस्टोरेंट और कुछ राजनीतिक दल के नेता शामिल हैं.

लल्लूराम डॉट कॉम के सहयोगी इलेक्ट्रानिक चैनल NEWS 24 के एक स्टिंग में कार्ड के जरिए खेले जाने वाले इस पूरे खेल का खुलासा हुआ है. इसमें गुजरात और महाराष्ट्र के चंद बाहुबलियों द्वारा ट्रांसपोर्टरों को गाड़ियों की क्षमता के हिसाब से हजार-1200 से लेकर दो हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से कार्ड बनाकर दिया जाता है, जिसमें गाड़ी का नंबर लिखा होता है. इस कार्ड को देखने के बाद गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक के परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी गाड़ी को हाथ भी लगाने से कतराते हैं.

इस कार्ड की बदौलत ट्रांसपोर्टर बिना किसी रोक-टोक के इन छह राज्यों में बेरोक-टोक आना-जाना कर सकते हैं. और अगर कोई अधिकारी भूले-भटके इन कार्डधारियों की गाड़ियों पर कार्रवाई करने की जुर्रत करता है तो उसकी जमकर छिछालेदर करने के साथ-साथ मार-पिटाई करने में बाहुबली के गुंडे गुरेज नहीं करते हैं. ऐसी स्थिति में ट्रांसपोर्टरों पर कार्रवाई करने की बजाए परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अपना हिस्सा चुपचाप लेने में ही भलाई समझते हैं.

नुकसान का आंकलन करते छूट जाएगा पसीना

अवैध या फर्जी कार्ड के जरिए दबंग राज्यों का कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसका खुलासा हाल ही में हुआ, जब गुजरात में आरटीओ ने ऐसे फर्जी कार्ड के खिलाफ अभियान चलाते हुए महज आठ दिन की चालानी कार्रवाई कर ढाई करोड़ रुपए की ट्रांसपोर्टरों से वसूली की. अगर ऐसी ही चालानी कार्रवाई अन्य राज्यों में की जाए तो चार-पांच सालों में ये आसमान की बुलंदियों को छूएंगे. इन कार्ड का खेल नवापुर, हराखेड़, कांदरी, सावनेर और देवरी जांच चौकी के साथ ही अन्य राज्यों की सीमाओं पर बसे रेस्टोरेंट और ढाबे में चलता है.

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