छत्तीसगढ़ शासन के रेशम विभाग की टसर धागाकरण योजना ने ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य, मजदूरी और वनोपज से आय का एक प्रमुख साधन उपलब्ध कराया है. जो एक निश्चित अवधि के लिए है. पुरूष तो काम की तलाश में बाहार जा सकते हैं. लेकिन महिलाओं को अपने गांव के आस-पास रोजगार प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था. ऐसी ही कुछ जरूरतमंद महिलाएं शासकीय कोसा बीज केन्द्र कुनकुरी में चल रहे टसर धागाकरण योजनान्तर्गत संचालित टसर मशीनों को देखने आई और धागाकरण कार्य को देखकर स्व-प्रेरित होकर खुद भी इस कार्य को करने के लिए इच्छा प्रकट की. जिसके बाद विभाग द्वारा इन महिलाओं को समूह बनाकर टसर धागाकरण प्रशिक्षण दिया गया.

कुनकुरी, फरसाबहार, पत्थलगांव और कांसाबेल विकासखण्ड में 7 स्व-सहायता समूह का गठन किया गया. महिला समूह के द्वारा टसर धागाकरण कार्य कर धागा उत्पादन किया जा रहा है. वर्ष-2022-23 में टसर धागाकरण समूह की 501 महिलाओं के द्वारा 3355279 किलोग्राम रिलींग धागा उत्पादन किया गया. साथ ही 2315.273 किलोग्राम घींचा धागा उत्पादन किया गया और वेस्ट सामग्री से 547.148 किलाग्राम धागा उत्पादन किया गया है. उत्पादित धागे का समूह के द्वारा विपणन कर राशि 1 करोड़ 95 लाख 40 हजार 383 का लाभ अर्जित किया गया.

उपरोक्त टसर धागारकण कार्य में महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए डीएमएफ और आईटीडीपी के साथ विभागीय योजना से महिलाओं को मशीन प्रदाय किया गया और प्रशिक्षण के लिए राशि जिला प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराया गया. जिसके द्वारा 501 महिलाऐं टसर धागाकरण कार्य कर स्वावलंबी हो चुके हैं. समूह के कई महिलाऐं पहले कॉफी गरीबी में जीवन यापन कर रही थीं, वे इस योजना से जुडकर अब तक अपनी-अपनी जीवन स्तर में सुधार कर ली हैं इसी योजना से अतिरिक्त आय अर्जित कर अपने कृषि भूमि में खेती का कार्य कर उन्नत किस्म का धान और अन्य फसल का उत्पादन कर रहे हैं. कई ऐसे महिलाऐं जिनके पास सायकल खरीदने को सपना देखते थे. लेकिन आज इसी कार्य से दो पहिया वाहन आसानी से खरीद के चला रहे हैं. अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे स्कूलों में पढ़ाई लिखाई करवा रहें हैं.

समुह की ऐसी 501 महिला हितग्राही जो आज धागाकरण कार्य से स्वावलंबी हो चुकी हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रही हैं. जिससे इनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है. जिससे सामाज में इन्हें अलग पहचान मिल रही है. साथ ही रेशम विभाग महिला समूह को हर स्तर पर सहयोग कर रही है महिलाओं को कोकून बैंक के माध्यम से कोसा उपलब्ध कराना मशीनों द्वारा उत्पादित धागा को विपणन कराना और विक्रय किए गए धागे की राशि उनके खाते में उपलब्ध कराना इत्यादि. इस प्रकार महिलाओं और गरीब परिवारों को रेशम विभाग द्वारा इनके पूर्ण विकास सकारात्मक आर्थिक विकास की ओर प्रयासरत है. जिससे वे अपने क्षमता को समझ सकें. महिलाओं का सशक्त बना आज की महति आवश्यकता है. सशक्त महिलाएं सशक्त समाज को गढ़ती हैं. जिससे देश का विकास होता है. ग्रामोद्योग संचालनालय ( रेशम प्रभाग ) की टसर धागाकरण की योजना महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. आने वाली पीढ़ी के द्वारा रोजगार के लिए किसी अन्य राज्य नारी में पलायन नहीं करना पड़ेगा. अपने ही राज्य अपने ग्रामों में रहकर वे स्व-रोजगार प्राप्त कर सकतें है.

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