नई दिल्ली . केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि 2013 में 5,000 की तुलना में अब देश में हर साल 15,000 से अधिक अंग दान किए जाते हैं. उन्होंने कहा सरकार ने देश में अंगदान को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं.

भारत में हर साल मरने वाले 95 लाख लोगों में से कम से कम एक लाख संभावित दानकर्ता होते हैं, इसके बावजूद हर साल देश में ऑर्गन फेलियर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है. अनुमान के मुताबिक ऑर्गन फेलियर के चलते हर दिन लगभग 300 और हर साल लगभग एक लाख से अधिक मौतें हो जाती हैं. इस खतरे को कम किया जा सकता है, अगर हर साल अंगदान को बढ़ावा दिया जा सके.

मंडाविया ने यहां 13वें भारतीय अंगदान दिवस समारोह में कहा,‘किसी अन्य व्यक्ति को जीवन देने से बड़ी मानवता की सेवा कोई नहीं हो सकती.’ अंगदान करने के लिए 65 वर्ष की आयु सीमा को समाप्त कर दिया गया है. यह समारोह उन परिवारों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था जिन्होंने अपने प्रियजनों की मृत्यु के बाद उनके अंग दूसरों को जीवन देने के लिए दान किए. मृतकों के अंगदान के बारे में जागरुकता लाने और अंगदान एवं प्रतिरोपण के क्षेत्र में काम करने वाले चिकित्सा कर्मियों के योगदान को सम्मानित करने के लिए भी समारोह आयोजित किया गया.

मंडाविया ने इस मौके पर कहा कि इस कार्य में शामिल रहे सभी लोगों के योगदान को सम्मानित करना और उसकी प्रशंसा करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा,‘2013 में करीब 5,000 लोग अपने अंगदान के लिए आगे आते थे. अब 15,000 से अधिक अंगदाता हर साल आते हैं.’

अब भी अंगदान में कमी विशेष समस्या

इससे पहले देश में अंगदान की कमी को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई थी. डॉक्टरों के मुताबिक मांग और प्रत्यारोपण के बीच बड़ा अंतर है, जो देश में हजारों मौतों का कारण बन रहा है. सिर्फ हृदय और लीवर ही नहीं, किडनी, कॉर्निया और फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए भी इंतजार कर रहे मरीजों की एक लंबी सूची है.