शंकर राय, भैंसदेही (बैतूल)। मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने शासन के दावे के विपरीत हकीकत कुछ और ही है। ऐसा ही समस्याओं से जुड़ा एक मामला बैतूल जिले के भैंसदेही ब्लॉक के पाटोली गांव में देखने को मिला. जहां बीते 3 वर्षों से स्कूल भवन क्षतिग्रस्त होने के कारण मामा की भांजियों को टिन शेड के नीचे बैठाकर पढ़ाई करवाई जा रही है। स्कूल भवन मरम्मत के लिए प्रस्ताव पर अधिकारी शासन से राशि नहीं मिलने का हवाला देकर शिक्षक को उनकी जिम्मेदारी बताकर स्वयं के खर्चे पर व्यवस्था करने की सलाह दे रहे है।
जिले की भर्ती तहसील के पाटोली गांव में ग्रामीणों और टीचरों के सहयोग से बने टीन शेड के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है। यहां का स्कूल भवन जर्जर हो चुका है। बिल्डिंग का कुछ हिस्सा भी धराशाई हो चुका है। शिक्षक ने भवन मरम्मत का प्रस्ताव विभागीय अधिकारियों को दिया तो अधिकारी ने मीडिया के सामने टीचर को बच्चों की वजह से नौकरी मिलने का हवाला देते हुए स्वयं के खर्चे पर प्रारंभिक व्यवस्था करने की सलाह देते नजर आए।
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स्कूल के टीचर का कहना है कि यहां पर पर्याप्त कक्ष नहीं है। भवन के लिए दो बार प्रस्ताव दिए। अधिकारी आते और देखकर चले जाते हैं। यहां टिन शेड ग्रामीणों और टीचरों ने अपनी स्वयं की राशि खर्च कर लगाया है। समस्या यह है कि हम पढ़ाये कहां पर। स्कूल बंद भी नहीं कर सकते। मेरे लिए मुसीबत है। सवाल यह है कि स्कूल लगाए तो लगाए कहां पर। एक कमरे में इतने बच्चे बैठ नहीं सकते। सिर्फ एक ही कमरा ठीक है।
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) का कहना कि हमने उन सभी स्कूल को चिन्हित किया है जहां भवन जर्जर है। ऐसे सभी स्कूलों में छत पर पन्नी (तिरपाल) लगा कर पानी टपकने से बचाने के लिए निर्देश दिए हैं। साथ ही ऐसी सभी बिल्डिंगों के मरम्मत के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिए हैं। राशि स्वीकृत होने पर मरम्मत किया जाएगा। वहां पर लगे टिन शेड के बारे में मुझे जानकारी है।
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