रायपुर। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में हजारों छात्रों को दो विषय में फेल होने के कारण वार्षिक परीक्षा में पूर्ण रूप से फेल कर दिया गया है. इसको लेकर NSUI के राष्ट्रीय संयोजक हनी बग्गा की अगवाई में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंडित रविशंकर के कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया है.

साथ ही आग्रह किया गया कि जो नियम एक विषय में फेल होने पर पूरक की परीक्षा दे सकते थे, उस नियम को दो विषय में किया जाए. दो विषयों में पूरक परीक्षा कराने की मांग की गई. इसमें एनएसयूआई के पदाधिकारियों ने यह तर्क दिया कि 2 वर्षों के कोरोना काल में बच्चों का पढ़ाई का स्तर नीचे आया है, जिसके कारण हजारों छात्र दो विषयों में उत्तीर्ण नहीं हो पाए हैं. पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय का नियम एक विषय में पूरक परीक्षा लेने की है. इस नियम को बदलने के लिए ज्ञापन द्वारा एनएसयूआई के पदाधिकारियों ने मांग की.

राष्ट्रीय संयोजक हनी बग्गा ने कहा कि 2 वर्ष के कोरोना काल में बच्चों का पढ़ाई का स्तर गिरा है और हजारों की संख्या में दो विषय में छात्र एवं छात्राएं फेल हुई है, क्योंकि पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय का नियम एक विषय में पूरक परीक्षा लेने की है. इसको इस वर्ष के लिए बदल कर दो विषयों में पूरक परीक्षा ली जाए.

यह मांग को लेकर आज हमने प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति से आग्रह करते हुए यह मांग की है कि छात्र हित को ध्यान में रखते हुए हजारों छात्रों के भविष्य को संरक्षित करते हुए एक विषय के नियम को हटाकर दो विषयों में पूरक की परीक्षा ली जाए. यह मांग को लेकर आज हमने मुख्यमंत्री कार्यालय एवं पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति को ज्ञापन सौंपा है.

कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा

कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन किया है कि इस साल विश्वविद्यालयों के बेहद खराब नतीजों और पिछले तीन सालों से कोरोना के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए अध्ययन अध्यापन को देखते हुए इस साल के लिए स्नातक स्तर के छात्रों को दो विषयों में पूरक की पात्रता प्रदान किया जाना चाहिए.
उन्होंने आज प्रभावित छात्रों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की और इस संबंध में ज्ञापन सौंपा.

ज्ञापन में कहा गया है कि, पिछले 3 सालों में कोरोना के चलते अध्ययन और अध्यापन कार्य बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे विशेषकर सैद्धांतिक विषयों में छात्रों की पकड़ भी कमजोर हुई है. इसके परिणाम इस साल के नतीजों में भी दिखाई दिए हैं. इस साल की परीक्षा में स्नातक स्तर के बहुत से छात्र (लगभग 80%) अनुत्तीर्ण हो गए हैं.

प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय, रविशंकर विश्वविद्यालय में एक लाख पच्चीस हजार ऐसे छात्र हैं जो दो विषयों में फेल हैं. राज्य के अन्य शासकीय विश्वविद्यालय के छात्रों को भी शामिल करें तो ये संख्या ढाई लाख के आस पास होगी. शासकीय विश्वविद्यालयों में प्रायः मध्यवर्ग और गरीब वर्ग के छात्र ही पढ़ रहे हैं.

पिछले तीन सालों में कोरोना के कारण अध्ययन में पिछड़े छात्रों को देखते हुए और इस साल के बेहद खराब परीक्षा परिणाम को देखते हुए, यदि इस साल छात्रों को दो विषयों में पूरक की पात्रता, छत्तीसगढ़ सरकार प्रदान करती है तो लाखों छात्रों का एक साल खराब होने से बचेगा. साथ ही सरकार की संवेदनशीलता भी जाहिर होगी.

प्रभावित होने वाले लाखों छात्र पहली बार वोट देने वाले वोटर भी हैं. इन छात्रों में भी सरकार के पक्ष में अच्छा असर पड़ेगा. वैसे भी सेमेस्टर परीक्षा के छात्रों को एटीकेटी की सुविधा के तहत चारों विषयों में पुनः परीक्षा देने की पात्रता मिलती है, लेकिन वार्षिक परीक्षा (बीए/बी कॉम/बी एस सी/ बीसीए ) के छात्रों को सिर्फ एक विषय में पूरक की पात्रता होती है.

छत्तीसगढ़ की सरकार हमेशा से युवा और छात्रों के लिए संवेदनशील निर्णयों के लिए जानी जाती है. दो विषयों में पूरक की पात्रता इसी कड़ी में अच्छा कदम होगा और इससे छात्रों में अच्छा संदेश जाएगा. मुख्यमंत्री जी ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द इस पर विचार किया जाएगा.

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