Loksabha Monsoon Session 2023: आजकल शादियों में फिजूलखर्ची करना शान की बात मानी जाती है, लेकिन इसकी वजह से मध्यमवर्गीय परिवार पर काफी बोझ पड़ता है. पंजाब से कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने इस मुद्दे पर कानून बनाने के लिए संसद में एक निजी विधेयक पेश किया.
इस बिल में बारात में सिर्फ 50 लोगों को बुलाने और सिर्फ 10 पकवान बनाने जैसे नियम लागू करने की बात कही गई है. संसद में पेश किए गए इस बिल का मकसद शादियों में होने वाले अनावश्यक खर्चों को कम करना है.
बिल में क्या है?
मानसून सत्र में पेश किए गए इस विधेयक को विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक का नाम दिया गया है. इस बिल के मुताबिक शादी के दौरान बारात में सिर्फ 50 लोगों को ही बुलाने की बात कही गई है.
शादी में 10 से ज्यादा पकवान नहीं होने चाहिए और 2500 से ज्यादा शगुन नहीं देना चाहिए. विधेयक के एक प्रावधान के अनुसार, शादी में उपहार लेने के बजाय उसकी राशि गरीबों, जरूरतमंदों, अनाथों या समाज के कमजोर वर्ग को दान कर दी जानी चाहिए.
इस बिल की क्या जरूरत है ?
सांसद ने कहा कि इस बिल का मकसद शादियों में होने वाले खर्च पर अंकुश लगाना और फिजूलखर्ची की बढ़ती प्रवृत्ति को खत्म करना है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिनमें लोगों को अपनी बेटियों की शादी के लिए अपनी जमीन-मकान बेचना पड़ा या बैंकों से कर्ज लेना पड़ा. इस प्रथा को बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे लड़की के परिवार पर बहुत बोझ पड़ता है.
शादी में खाने की बर्बादी से सांसद ने लिया सबक !
कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल को इस बिल की प्रेरणा 2019 में फगवाड़ा में एक शादी में शामिल होने से मिली. यहां उन्होंने व्यंजनों की 285 ट्रे के अत्यधिक प्रदर्शन को देखते हुए पाया कि 129 ट्रे को अछूता छोड़ दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप भोजन की बर्बादी हुई.
विधेयक के मुख्य प्रावधान
विधेयक में विवाहों के लिए तीन प्रमुख प्रावधान प्रस्तावित हैं. इसमें दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवारों के मेहमानों की कुल संख्या को 100 तक सीमित करना, परोसे जाने वाले व्यंजनों की संख्या को 10 तक सीमित करना और उपहारों के मूल्य को 2,500 रुपये तक सीमित करना शामिल है.
इसके अतिरिक्त, कानून फालतू उपहार देने, गरीबों, जरूरतमंदों, अनाथों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों को दान की वकालत करने या गैर सरकारी संगठनों का समर्थन करने को प्रोत्साहित करता है.
अपने परिवार पर लागू की व्यवस्था
एमपी गिल ने इन सिद्धांतों को अपने परिवार में लागू करके उनके प्रति अपनी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इस साल अपने बेटे और बेटी की शादी करते समय, उन्होंने मेहमानों की सूची को 30 से 40 लोगों तक सीमित कर दिया.
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