नई दिल्ली. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज की चाह रखने वालों के लिए अच्छी खबर है. सफदरजंग देश का पहला ऐसा बड़ा अस्पताल बना है जहां ऐसे नवजात को मां के साथ इलाज के लिए एनआईसीयू की सुविधा मिल सकेगी, जिनका जन्म किसी दूसरे अस्पताल में हुआ है. अभी तक अस्पताल में ही पैदा होने वाले नवजात के लिए एनआईसीयू की सुविधा थी.

दरअसल, जन्म के तुरंत बाद कई बच्चों को गहन चिकित्सा निगरानी की जरूरत होती है. सफदरजंग अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजात को तो एनआईसीयू सुविधा मिल जाती थी, लेकिन दूसरे अस्पताल या घर पर जन्म लेने वाले नवजातों के लिए एनआईसीयू की सुविधा नहीं थी.

कई अस्पतालों में व्यवस्था नहीं सफदरजंग अस्पताल ने नवजात के साथ मां को भी एनआईसीयू में रखने की सुविधा दी गई है. दरअसल, अभी तक देशभर के कई अस्पतालों में नवजात को संक्रमण से बचाने के लिए मां को उससे दूर रखा जाता था, लेकिन कुछ दिनों पहले सफदरजंग अस्पताल के अध्ययन में यह जानकारी सामने आई थी कि कम वजन वाले नवजात की मां की त्वचा का स्पर्श (कंगारू मदर केयर) उनकी सेहत के लिए ज्यादा बेहतर होता है. कई अस्पतालों में अभी तक ऐसे एनआईसीयू मौजूद हैं, जहां सिर्फ नवजात को ही रखने की व्यवस्था है. वहां आईसीयू में मां के रहने की व्यवस्था नहीं होती. सफदरजंग अस्पताल के नए आउटबोर्न एनआईसीयू में मां को शिशु के साथ रखा जाएगा.

क्या है कंगारू मदर केयर इसमें कंगारू की तरह नवजात बच्चों के लिए उसकी मां की त्वचा से त्वचा का संपर्क कराया जाता है. जो नवजात शिशु की वृद्धि और विकास में मदद करती है. साथ ही बच्चे को स्तनपान भी कराया जाता है.

मां की मौजूदगी से बच्चे को एक तिहाई खतरा कम

नवजात को जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर देने से सेप्सिस का खतरा 18 फीसदी और मौत का खतरा 37 फीसदी कम होता है. सफदरजंग अस्पताल ने 3200 नवजात बच्चों को अलग-अलग समूह में बांटकर अध्ययन किया है. अभी तक यह माना जाता था कि कंगारू मदर केयर को बच्चे को 3 से 7 दिन तक इनक्यूबेटर में स्थिर रखने के बाद ही दिया जाना चाहिए. डॉक्टर यह मानते थे कि आईसीयू में ऐसे बच्चों से मां के बार-बार आईसीयू में जाने से संक्रमण बढ़ता है.

फिलहाल यहां पर आउटबॉर्न के लिए एनआईसीयू

● राम मनोहर लोहिया अस्पताल

● सफदरजंग अस्पताल