अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन (Raisen) जिले में आज जहां शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की बात की जा रही है, तो वहीं ग्रामीण अंचल में अधिकांश लोगों को सामान्य सी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। यहां तक कि कई ऐसे स्थान हैं, जहां लोगों को अपनी जान जोखिम में डाल कर रास्ता पार करना पड़ता है। इस दौरान जरा सी नजर चूक जाए तो यह जोखिम भरे रास्ते किसी की भी जान ले सकते हैं। इस तरह के हालात सांची ब्लॉक (Sanchi Block) के ग्राम पंचायत अंबाड़ी में बने हुए हैं। जहां 2006 से टूटी पुलिया आज 17 साल बाद भी जर्जर हालत में खड़ी हुई है। यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जबकि इस पुलिया से करीब 20 गांव के लोग शहर के लिए प्रतिदिन आवागमन करते हैं। टूटी पुलिया पर बिजली के खंभे रखे गए और यहां से बुजुर्ग, युवा, महिलाएं और स्कूली बच्चे जोखिम भरा सफर तय करते हैं।
मूकदर्शक बना बैठा प्रशासन
स्कूल तक पहुंचने वाले रास्ते इतने बेकार पड़े हुए हैं कि कहीं तो पुल टूटा पड़ा है तो कहीं कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। बच्चे हाथ में चप्पल लेकर निकलते हैं। मगर प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है। ग्राम अंबाडी में आने के लिए दो रास्ते हैं। इनमें से एक पर पुल टूटा पड़ा है, तो दूसरे पर बारिश में कीचड़ से भरा रहता है। ग्रामीणों के कई बार शिकायत के बाद भी आज तक पुलिया का निर्माण नहीं हो सका है। पुलिया टूटने के कारण ग्रामीणों को भोपाल विदिशा हाईवे तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर घूमकर दीवानगंज से होकर जाना पड़ रहा है।
17 साल से पुलिया का बनने का इंतजार
अब इस पुलिया के पास ही नवीन चौकी का निर्माण हो गया है। अब अगर ग्रामीणों को पुलिस में रिपोर्ट या शिकायत करना होगा तो 3 किलोमीटर घूम कर चौकी जाना पड़ता है। बारिश के समय यहां से निकलना और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है। ग्रामीण इस रास्ते से होकर विदिशा और भोपाल के लिए जाते हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि इस रास्ते पर विवाद चल रहा है। विवाद सुलझने के बाद ही पुलिया बन पाएगी। अब सवाल उठता है कि 17 साल से इस पुलिया का बनने का इंतजार कर रहा है। ग्रामीण अब कब तक इंतजार कर जान को जोखिम में डालेंगे।
सिरफिरे युवक की करतूत: बाइक से पेट्रोल निकालकर किया आग के हवाले, CCTV कैद वारदात, FIR दर्ज
शिकायत के बाद भी निराकरण नहीं
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्व निरीक्षक, पटवारी ने इस रास्ते की नपती करके किसी निजी भूमि में निकाल दिया है। कुछ दिन तक जिसको राजस्व निरीक्षक ने कब्जा दिया था। उक्त व्यक्ति ने कांटे डालकर रास्ता भी बंद कर दिया था। मगर ग्रामीणों के कहने से उक्त व्यक्ति ने रास्ता खोल दिया है।
अब सवाल इस बात का उठता है कि बरसों पुराने रास्ता जो सरकारी था, अब निजी कैसे हो गया है। टूटी पुलिया के दोनों तरफ बिजली के खंभे रखे हैं। इनके सहारे रोज खतरा उठाकर निकलना पड़ता है, जिससे करीब बीस गांव के ग्रामीण परेशान और कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। बारिश के समय में पूरा रास्ता बंद हो जाता है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन निराकरण नहीं हो पाया है।
इस मार्ग से बीस गांव के ग्रामीण जुड़े हैं। जिन्हें प्रतिदिन टूटी पुलिया से बिजली के पोल के ऊपर से निकलना पड़ रहा है। जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। मगर प्रशासनिक और जनप्रतिनिधि इस पुलिया का निर्माण नहीं करा रहे।
17 सालों से यह पुलिया जर्जर अवस्था में है। ग्रामीणों को प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर इन बिजली के खंभों के सहारे यहां से निकलना पड़ता है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन समस्या का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है।
मर्डर-लूट केस में 2 आरोपी बरी: 2013 में सिक्का उछालने के बाद बदमाशों ने की थी महिला की हत्या
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक