Delhi Services Bill Passed. राज्यसभा से दिल्ली सर्विस बिल (Delhi Services Bill) पास हो गया है. बिल के समर्थन में कुल 131 वोट पड़े. वहीं 102 सांसदों ने दिल्ली सर्विस बिल के विरोध में वोट किया. जानकारी के मुताबिक वोटिंग के दौरान मशीन खराब हो गई थी. जिसके बाद पर्ची से वोट डाले गए. बता दें कि इससे पहले लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल 3 अगस्त को पेश किया गया था और उसी दिन पास हुआ था.

वोटिंग के पहले राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामार किया. जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोरदार तंज कसा. उन्होंने विपक्ष को चैंलेंज किया कि इस बिल को गिराकर दिखाओ.

आप सांसद ने सरकार को घेरा

आप सांसद राघव चड्ढा ने बिल को लेकर कहा कि ये बिल एक राजनीतिक धोखा है. गृहमंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि पंडित नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे. मैं बता दूं कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संसद में बिल लेकर आए थे. ये बिल लाकर उनके संघर्ष का अपमान कर रहे हैं.

क्या है दिल्ली सेवा बिल ?

ये बिल के पारित होने के बाद दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में होगी. साथ ही ये बिल उपराज्यपाल (एलजी) को कई प्रमुख मामलों पर अपने विवेक का प्रयोग करने का अधिकार देता है.

राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) में मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे और यह उपराज्यपाल को अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग की सिफारिश करेगा. यह दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामलों पर उपराज्यपाल एलजी को सिफारिशें भी करेगा.

ये बिल उपराज्यपाल को एनसीसीएसए द्वारा की गई सिफारिशों सहित प्रमुख मामलों पर अपने ‘एकमात्र विवेक’ का प्रयोग करने की ताकत देता है. उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का भी अधिकार रहेगा.