पी. रंजन दास, बीजापुर। पामेड़ अभयारण्य के धरमारम रेंज में ना सिर्फ चारागाह विकास में भ्रष्टाचार हुआ है, बल्कि देवगुड़ी के निर्माण में भी खुलकर भ्रष्टाचार किया गया. यह बात पंचायत और ग्रामीणों के हवाले से उपनिदेशक, आईटीआर समेत विधायक से की गई लिखित शिकायत में सामने आई है. इस खेल का रणनीतिकार तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी को बताया जा रहा है.

पंचायत की शिकायत की सच्चाई जानने के लिए जब जमीनी पड़ताल की गई तो धरमारम रेंज के कवरगट्टा परिसर में वर्ष 2020 में देवगुड़ी निर्माण नहीं होने की हकीकत सामने आई. हालांकि, सूचना के अधिकार में दी गई जानकारी के मुताबिक, देवगुड़ी के लिए निर्माण सामग्री खरीदी के नाम पर पर 7 लाख 40,708 रुपए और श्रमिक भुगतान पर 2 लाख 89,283 रुपए व्यय दर्शाए गए हैं. इस तरह से कुल 10 लाख 29,991 रुपए से देवगुड़ी का निर्माण करना बताया गया है.

यही नहीं जब बिलों की छायाप्रति के आधार पर विक्रेता फर्म से संपर्क किया गया, तो फर्म की ओर से मटेरियल बेचना बताया गया, लेकिन कवरगट्टा के रहवासियों के कथनानुसार चार साल पहले गांव में वन विभाग की ओर से किसी तरह का निर्माण नहीं कराया गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

जानकारों की मानें तो कवरगट्टा घोर माओवाद प्रभावित इलाका है. जहां नक्सलियों की इजाजत के बिना कोई भी काम संभव नहीं. रेंज के अफसर-कर्मियों ने दुरुह परिस्थितियों के अलावा नक्सली भय का भरपूर फायदा उठाया. उन्हें पूरा यकीन था कि यहां विभाग का कोई आला अफसर कभी भी निरीक्षण के लिए नहीं पहुंचेगा. लिहाजा, उन्होंने फर्जी बिल के जरिए लाखों रुपए का खेल खेला.

पंचायत सरंपच और ग्रामीणों को जब देवगुड़ी बनने की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने स्तर पर पड़ताल शुरू की, लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी गांव में दूर-दूर तक कोई देवगुड़ी नहीं मिली. अंततः उन्होंने आरटीआई दाखिल किया गया, और जब जानकारी हाथ लगी तो दस्तावेज देख पंचायत के होश उड़ गए.

पंचायत ने सवाल उठाया कि जब देवगुड़ी बनी ही नहीं तो पैसे कैसे निकल गए. पैसे गबन करने जितने दस्तावेज प्रस्तुत किए, श्रमिकों के नाम भुगतान दर्शाए गए, सभी फर्जी है. बहरहाल, धरमारम परिक्षेत्र में साल 2020 में चारागाह विकास के नाम पर भ्रष्टाचार के बाद देवगुड़ी के नाम खुला भ्रष्टाचार से लोगों के होश उड़े हुए हैं, पंचायत की नजरें अब विभाग पर है कि पूरे मामले को लेकर आगे क्या ठोस कदम उठाती है.

रेंजर की सफाई

पंचायत और ग्रामीणों की देवगुड़ी के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत को रेंजर विनोद तिवारी पूरी तरह से नकार है. उन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि मेरे द्वारा देवगुड़ी का निर्माण कराया गया है, प्रमाण के तौर पर फोटोग्राफ्स भी उपलब्ध हैं. पंचायत और ग्रामीणों की ओर से लगाया गया भ्रष्टाचार का आरोप पूरी तरह से निराधार है.