Rajasthan News: प्रदेश में संचालित गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं से सम्बद्ध चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं (आरसीएच) का डिजिटाइजेशन किया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग शुभ्रा सिंह की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राजस्थान एवं जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, यूएसए द्वारा मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन जपाइगो संस्थान के मध्य शुक्रवार को एमओयू हस्ताक्षर किया गया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश के उच्च प्रसव भार वाले चिकित्सा संस्थानों पर संपन्न करवाए जा रहे संस्थागत प्रसवों की डिजिटलाईज क्लीनिकल केयर एवं मातृ स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बंधित विभन्न गतिविधियों की मॉनिटरिंग हेतु यह अनुबंध किया गया है। इससे प्रदेश में मातृ शिशु एवं परिवार कल्याण इत्यादि स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटलाइजेशन हो सकेगा। उन्होंने बताया कि इन सेवाओं में ममता कार्ड, डिजिटल आरसीएच रजिस्टर जिससे संपूर्ण गर्भावस्था अवधि यानि प्रसव पूर्व, प्रसव के दौरान एवं प्रसव पश्चात् सेवायें, शिशुओं का टीकाकरण एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम की एकीकृत व रियल टाइम ट्रैकिंग एवं मॉनिटरिंग की जा सकेगी, साथ ही पीसीटीएस में डेटा भी तुरंत अपडेट होगा।

इससे उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिला अथवा नवजात शिशु को समय पर उचित उपचार हेतु बेहतर रेफरल सुविधाएँ उपलब्ध करवाए जाने हेतु सुनियोजित तैयारी की जा सकेगी। इसके माध्यम से अलर्ट मेसेजेस द्वारा उच्च जोखिम वाली गर्भस्थ महिलाओं की पहचान कर संभावित जटिलता के निदान हेतु समय पर उचित प्रबंधन के लिए बेहतर निर्णय लिए जा सकेंगे। राजस्थान देश में इन सेवाओं का डिजिटलाइजेशन व रियल टाइम मॉनिटरिंग करने वाला पहला राज्य होगा।

मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने बताया कि प्रारम्भिक चरण में तीन जिलों (बूंदी, करौली एवं उदयपुर) में प्रत्येक एएनएम को एक किट दिया जायेगा जिसमें डिजीटल डिवाइसेस उपलब्ध करायी जायेगी। इसके माध्यम से गर्भवती महिलाओं के वजन, बी.पी., गर्भ में बच्चे की धड़कन आदि सभी की जांच कर, रिपोर्ट को सीधे ही मोबाइल के माध्यम से पीसीटीएस में दर्ज किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि येे सभी सुविधायें सुरक्षित मातृत्व दिवस (प्रत्येक गुरूवार) पर गर्भवती महिलाओं को अपने घर के पास ही उपलब्ध हो सकेगी।

उन्होंने बताया कि  जपाइगो संस्थान द्वारा वर्ष 2009 से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग व एनएचएम राजस्थान के साथ समन्वय स्थापित कर मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रसव पूर्व एवं प्रसव के दौरान प्रसव कक्ष में दी जाने वाली सेवाओं की गुणवता में बेहतरी हेतु संचालित योजनाओं में महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग एवं कार्य क्षमता वृद्धि हेतु प्रशिक्षण में निरंतर योगदान प्रदान किया गया है।

गौरतलब है कि राज्य में मातृ मृत्यु दर जो वर्ष 2012-14 (255) थी, यह वर्ष 2018-20 में घटकर 113 हुई है और मातृ- मृत्यु दर की उक्त गिरावट देश में सर्वाेच्च आंकी गयी है, जिसमें उक्त कार्यक्रमों का भी विशिष्ट योगदान रहा है। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में राज्य ने अग्रणी रहते हुए, इन कार्यक्रमों के तहत महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और उनके महत्व को समझते हुए अन्य राज्यों की स्थानीय आवश्यकतानुसार लागू किया गया है।

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