रायपुर. विहंगम योग आध्यात्मिक संस्थान की ओर से कश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा निकाली जा रही है. यह यात्रा सरायपाली पहुंची, जहां संत प्रवर श्री विज्ञान देव महाराज के दिव्य वाणी का लाभ सैकड़ों साधकों को मिला. अघरिया छात्रावास सरायपाली में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में संत प्रवर ने कहा, आत्मज्ञान की विस्मृति ही दुखों का कारण है. हमारा अज्ञान ही हमारे दुखों का कारण है. कोई व्यक्ति अयोग्य नहीं, अच्छाइयां – बुराइयां सबके भीतर है. हमे दुर्बलताओं, कठिनाइयों से घबराना नहीं है. उन कठिनाइयों को दूर करने की जो प्रेरणा, जो शक्ति, जो सामर्थ्य है वह अध्यात्म के आलोक से, स्वर्वेद के स्वर से एक साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है, क्योंकि हमारे भीतर अंतरात्मा रूप से परमात्मा ही तो स्थित है.

महाराज ने बताया कि आज मन पर नियंत्रण न होने से समाज में विसंगतियां बढ़ रही है. यूनेस्को की एक प्रस्तावना कहती है कि युद्ध की प्राचीरें कुत्सित मन से निकलती है. अतः मन पर नियंत्रण आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हमारे मन में असीम शक्ति है. ईश्वर ने हमें बड़ी शक्तियों वाला अन्तःकरण दिया है. मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती. मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है.

उन्होंने जय स्वर्वेद कथा सुनाते हुए कहा कि भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है. आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा. संत प्रवर श्री विज्ञान देव महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया और कहा कि यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है.

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई. स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे. दिव्यवाणी के पश्चात मुख्य आगंतुकों को संत प्रवर के हाथों विहंगम योग का प्रधान सद्ग्रन्थ स्वर्वेद भेंट किया गया.

आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग संत समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव महाराज 17 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कश्मीर की धरती से हो चुका है. संकल्प यात्रा के प्रथम चरण में कश्मीर , जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के विभिन्न शहरों के पश्चात ओडिशा के भुबनेश्वर, ब्रह्मपुर, कालाहांडी, संबलपुर, झारसुगुड़ा, राउरकेला होते हुए रामानुजगंज के बाद आज अम्बिकापुर में पहुंच चुकी है.

सदगुरू सदाफल देव की 135 फीट से ऊंची प्रतिमा का होगा शिलान्यास

17-18 दिसंबर 2023 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है. उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है, जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले. इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत सदगुरू सदाफल देव महाराज की 135 फीट से भी ऊंची प्रतिमा (Statue of Spirituality) का भी शिलान्यास होगा. इस अवसर पर बबन सिंह ( निदेशक), कोटेश्वर चापड़ी उपाध्यक्ष, श्याम कुमारी उसेंडी , दिनेश सिंह, आर एन साहू, पुरुषोत्तम सपहा, सत्येंद्र स्वर्वेदी आदि उपस्थित रहे.