रायपुर- बागी नेताओं की वापसी को लेकर इन दिनों बीजेपी में कलह के आसार बन रहे हैं. दरअसल मामला जशपुर के बागी नेता गणेशराम भगत की घर वापसी से जुड़ा हुआ है. भगत की वापसी को लेकर न केवल जशपुर राज परिवार में आईं सतही दरारें खुलकर बाहर आ रही हैं, वहीं बीजेपी के भीतर भी आला नेताओं में एक राय नहीं बन पा रही है.
साल 2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भगत ने उस वक्त पार्टी छो़ड दी थी, जब उन्हें टिकट नहीं दी गई. पार्टी से बगावत कर भगत बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. संगठन ने अनुशासनहीनता के चलते उन्हें निष्कासित कर दिया था. अब जब बीजेपी मिशन 65 की रणनीति तैयार करने में जुटी है, ऐसे में उन तमाम चेहरों की घर वापसी की रणनीति तैयारी की जा रही है, जिनसे बीजेपी को फायदा मिल सकता है.
पार्टी के आला नेता बताते हैं कि पिछले दिनों प्रदेश कार्यालय में हुई कोरग्रुप की बैठक में पूर्व मंत्री गणेशराम भगत की वापसी को लेकर रायशुमारी की गई. सूत्रों की मानें तो कोरग्रुप की बैठक में मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने भगत की वापसी को लेकर सकारात्मक रूख दिखाया है. बताते हैं कि कोरग्रुप की बैठक में आला नेताओं के सामने यह फीडबैक दिया गया है कि गणेशराम भगत की वापसी पर राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह जूदेव ने अपनी सहमति दे दी है. बैठक में मौजूद सूत्रों की मानें तो इस पर राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया कि इस मसले पर स्व.दिलीप सिंह जूदेव के बेटे और चंद्रपुर विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव से चर्चा करने के बाद ही किसी तरह का फैसला लिया जाना बेहतर होगा.
सूत्र बताते हैं कि गणेशराम भगत की घर वापसी पर एक राय नहीं बन पाने और युद्धवीर सिंह जूदेव की सहमति नहीं मिलने के बाद मामले पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. बताया जाता है कि भगत की वापसी को लेकर युद्धवीर सिंह जूदेह को मनाने की जिम्मेदारी जशपुर राजपरिवार के करीबी रहे केंद्रीय राज्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व संगठन मंत्री रामप्रताप सिंह को दी गई है. सूत्र इस बात की भी तस्दीक करते हैं कि विष्णुदेव साय और रामप्रताप सिंह ने इस मामले को लेकर युद्धवीर सिंह के साथ दो घंटे तक बैठक की. युद्धवीर सिंह जूदेव के करीबी बताते हैं कि भगत की वापसी को लेकर वे तैयार नहीं हैं.
सौदान सिंह मेरे राजनीतिज्ञ गुरू, उनके निर्देश का पालन करना मेरा कर्तव्य- युद्धवीर सिंह जूदेव
गणेराम भगत की पार्टी में वापसी की रायशुमारी के बीच युद्धवीर सिंह जूदेव ने इस मामले में ज्यादा कुछ कहने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह संगठन के निर्णयों से जुड़ा मामला है, जिस पर फैसला आला नेताओं को लेना है. जूदेव ने इतना कहा कि-
गणेशराम भगत का निष्कासन रद्द कर घर वापसी किए जाने की चर्चाओं के बीच चंद्रपुर विधायक और स्व. दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव ने लल्लूराम डाॅट काम से बातचीत करते हुए कहा है कि- सौदान सिंह मेरे राजनीतिज्ञ गुरू हैं. मेरी उंगली पकड़कर मुझे राजनीति में वहीं लेकर आए थे. उनके हर निर्देश का पालन करना मेरा कर्तव्य हैं. गणेश राम भगत की वापसी को लेकर संगठन फैसला लेगा, लेकिन इससे पहले एक बार कार्यकर्ताओं और समर्थकों से चर्चा की जानी चाहिए.
भगत की वापसी को लेकर युद्धवीर सिंह जूदेव ने भले ही सीधी टिप्पणी नहीं की हो, लेकिन फेसबुक पर किए गए उनके पोस्ट ने कई सवाल खड़े किया है. जूदेव ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि-
मैं सूरज के साथ रहकर भी भूला नहीं अदब…
लोग जुगनू का साथ पाकर मगरूर हो गए…
सबके दिलों में धड़कना जरूरी नहीं होता साहब…
कुछ लोगों की आंखों में खटकने
का भी एक अलग मजा है…
भगत की वापसी को लेकर आखिर क्यों जरूरी है जूदेव परिवार की सहमति
बताते हैं कि एक वक्त ऐसा रहा है कि गणेश राम भगत स्व. दिलीप सिंह जूदेव के बेहद करीबी रहे हैं. 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही जूदेव की सिफारिश पर ही भगत को टिकट मिली और उन्होंने जशपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. चुनाव जीतने के बाद रमन सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया था. लेकिन इस दौरान गणेशराम भगत की जूदेव से दूरी बढती चली गई. एक वक्त ऐसा भी आया कि 2008 के विधानसभा चुनाव में दिलीप सिंह जूदेव ने उन्हें जशपुर से टिकट नहीं दिए जाने को लेकर पार्टी से सिफारिश की. जूदेव के विरोध के चलते बीजेपी ने उन्हें सीतापुर से चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस के अमरजीत सिंह भगत से उन्हें करारी शिकस्त दी. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर गणेशराम भगत ने जशपुर से टिकट मांगा, लेकिन जूदेव परिवार की नाराजगी के बीच बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लिहाजा भगत निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े, हालांकि जशपुर के मतदाताओं ने राज परिवार और बीजेपी से बगावत करने वाले गणेशराम भगत को खारिज कर दिया और वे चुनाव हार गए. अब जब बीजेपी चौथी बार सरकार बनाने की कवायद में जुट गई है, तो ऐसे में उन तमाम चेहरों की घर वापसी की चर्चाएं शुरू हो गई हैं, जिसके बीजेपी को फायदा हो सकता है. हालांकि भगत के मसले पर खुद जूदेव परिवार बंटता चला जा रहा है. स्व.दिलीप सिंह जूदेव के बेटे और विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव की भगत से गहरी नाराजगी बरकरार है, तो वहीं जूदेव के भतीजे राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह की सहमति ने मामले में नया रूख सामने लाया है.