छत्तीसगढ़ में किसान अब नवाचार कर रहे हैं. पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा प्रदेश में अन्य फसल समेत फल-फूल, सब्जी, मिलेट्स आदि की खेती कर रहे हैं. जिससे ना सिर्फ वे आत्मनिर्भर हो रहे हैं, बल्कि उन्हें इससे अच्छी आय भी हो रही है. जिससे वे घर चलाने के साथ-साथ अन्य काम भी कर रहे हैं. इन सब के पीछे छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए संबल बनकर खड़ी है. जो लगातार किसानों को अन्य फसल लेने के लिए आर्थिक रूप से प्रोत्साहित कर रही है.

जशपुर के किसान राकेश एक्का इन दिनों चाय की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले वह सारुडीह में लगाए गए चाय बगान में समूह के साथ काम करता था. जिसके बाद उन्होंने चाय की खेती के संबंध में जानकारी लेकर अपनी निजी भूमि पर 1.79 एकड़ में चाय का पौधा लगाया. वर्तमान में वे 18 किसानों के साथ मिलकर किसानों की निजी भूमि पर 20 एकड़ में चाय की खेती कर रहें हैं. उन्होंने बताया कि 18 किसानों को चाय की खेती के लिए जोड़ा है और 10 महिला स्वास्थ्य समूह की महिलाएं कार्य कर रही है. जिससे पिछले साल उन्होंने दो लाख रुपये कमाया. पिछले 3 साल से वे अपनी निजी भूमि में चाय की खेती कर रहे हैं.

वन विभाग से मिली मदद

राकेश बताते हैं कि चाय की खेती की जानकारी के लिए फॉरेस्ट विभाग द्वारा सिलीगुड़ी के लिए 6 लोगों को भेजा गया था. जिसमें राकेश भी था. उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा चाय का पौधा दिया गया था और सामग्री रखने के लिए उद्यान विभाग ने सहयोग किया था. जिला प्रशासन के सहयोग में बाला छापर में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किया गया है.

राकेश ने बताया कि चाय की खेती के लिए उन्हें समय-समय पर तकनीकी सलाह कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिया जाता है. राकेश एक्का ने चाय की खेती के साथ पपीता और केला लगाना प्रारंभ किया है और भविष्य में बड़े स्तर पर लगाने की कार्ययोजना है.

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