राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। टिकट बांटते आए हैं और इस बार भी टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाएंगे. जीत की पूरी रणनीति बनाएंगे तो बहुमत में आने पर सरकार भी बनाएंगे, लेकिन अपनों की पाॅलिटिकल लाॅन्चिंग नहीं कर पाएंगे. मध्य प्रदेश बीजेपी में दिग्गज नेताओं के सामने कुछ ऐसे ही हालात बने हुए हैं. अपनों को बतौर उत्तराधिकारी सक्रिय राजनीति में लाने की चाहत तो रखते हैं, लेकिन पार्टी की गाइडलाइन के आगे सब बेबस नजर आ रहे हैं. हालांकि कुछ दिग्गज पहले सफल भी हुए हैं. कांग्रेस की बात की जाए, तो इस पार्टी में भी ऐसे दिग्गज हैं जो अपने बेटों की पाॅलिटिकल लाॅन्चिंग कर चुके हैं. लेकिन कई अभी भी मझदार में हैं.

परिवारवाद को लेकर संसद में विपक्षियों पर हमलावर हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूख से बीजेपी में ही खलबली मची हुई है. कारण है 2023 में बेटों की लाॅन्चिंग की तैयारी में जुटे बीजेपी के दिग्गजों की प्लानिंग पर पानी फिरना. पीएम मोदी ने सिर्फ विपक्षी दलों पर हमला नहीं बोला है, बल्कि अपने दल के नेताओं को भी इशारों में साफ संदेश दे दिया है. चुनाव में मोदी फॉर्मूला पूरी तरह से लागू हुआ तो बीजेपी के शीर्ष नेता सहित कई नेताओं के बेटों की दावेदारी खटाई में पड़ सकती है. इसमें उन नेताओं के नाम भी जुड़ गए हैं, जो कांग्रेस से आकर बीजेपी में शामिल हुए हैं.

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मौसम बिसेन

बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन कई बार खुले तौर पर अपनी बेटी मौसम बिसेन की लाॅचिंग कर चुके हैं. 2018 के चुनाव में बिसेन ने सार्वजनिक मंचों के साथ पार्टी में मौसम बिसेन के लिए टिकट मांगा था. मौसम भी खुले तौर पर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है. इस बार फिर बिसेन अपनी सीट से बेटी मौसम के लिए टिकट मांग रहे हैं. इसके बदले बिसेन लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से कमलनाथ के सामने चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार हैं.

मुदित शेजवार

पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जोर-आजमाइश कर खुद की जगह अपने बेटे मुदित शेजवार को टिकट दिलाया. पिता की परंपरागत सीट सांची से मैदान में उतरे मुदित को बतौर कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी से हार का सामना करना पड़ा. कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के साथ चौधरी बीजेपी के हुए तो शेजवार परिवार की जगह चौधरी उसी सीट से मैदान में उतरे. उपचुनाव में मुदित शेजवार ने अपना नाम चलाया तो पार्टी की नसीहतों का सामना करना पड़ा. अब बीजेपी के प्रमुख दावेदार प्रभुराम चौधरी ही हैं, लेकिन गौरीशंकर शेजवार अब फिर बेटे मुदित के लिए सियासी समीकरण बिछाने में लगे हुए हैं.

सिद्धार्थ मलैया

बीजेपी के दिग्गज नेता जयंत मलैया 2018 का चुनाव हारे और कांग्रेस विधायक राहुल लोधी बीजेपी में शामिल हुए तो उपचुनाव में मलैया ने अपने बेटे सिद्धार्थ की लाॅन्चिंग करने के पूरे जतन की. बीजेपी से राहुल लोधी को ही टिकट मिला, लेकिन राहुल चुनाव हार गए. इस दौरान सिद्धार्थ मलैया पर भीतरघात करने के आरोप लगे तो पार्टी ने सिद्धार्थ मलैया को पार्टी से बेदखल कर दिया. बीजेपी में वापसी के बाद इस बार जयंत मलैया फिर सिद्धार्थ मलैया को लेकर दावेदारी कर रहे हैं.

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देवेंद्र प्रताप सिंह

ग्वालियर के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री और बीजेपी चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह ग्वालियर बेल्ट में लंबे समय से सक्रिय हैं. देवेंद्र प्रताप सिंह को अपने पिता के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता है, लेकिन देवेंद्र सीधी दावेदारी से बचते नजर आते हैं.

अभिषेक भार्गव

बीजेपी के कद्दावर नेता मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव राजनीति में काफी सक्रिय हैं. पंचायत चुनाव में अभिषेक परिवारवाद की राजनीति पर सवाल खड़े कर काफी सुर्खियों में रहे. अभिषेक ने कहा था कि पंचायत चुनाव में भी बीजेपी में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से परिवारवाद पर बनी गाइडलाइन का पालन होना चाहिए. विधायक, सांसदों के परिजन को सरपंच, जनपद, जिला पंचायत का चुनाव नहीं लड़ाना चाहिए.

तुष्मुल झा

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा ग्वालियर क्षेत्र में काफी अधिक सक्रिय हैं. इलाके में तुष्मुल युवाओं का नेतृत्व कर रहे हैं. तो संगठन में भी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. तुष्मुल राजनीति में ही अपना करियर देख रहे हैं.

कार्तिकेय सिंह चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान राजनीति में जमीन पर एक्टिव हैं. कार्तिकेय अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र बुदनी में न सिर्फ सक्रिय हैं, बल्कि पिछले दो विधानसभा चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी भी संभाले हुए हैं, लेकिन टिकट को लेकर कार्तिकेय हमेशा कहते आए हैं कि उन्हें टिकट नहीं चाहिए.

सुकर्ण मिश्रा

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा पिता की विधानसभा में पूरा कामकाज संभालते हैं, लेकिन टिकट की दौड़ से खुद को दूर ही रखते आए हैं. विधानसभा के साथ सुकर्ण ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. सुकर्ण फिलहाल बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं.

महाआर्यमन सिंधिया

सिंधिया राजवंश की चौथी पीढ़ी अब राजनीति के मैदान में सक्रिय होती नजर आ रही है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन भविश्य में राजनीति में उतर सकते हैं. महाआर्यमन पिछले कुछ वक्त से लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर आ रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने के फैसले के दौरान महाआर्यमन के ट्वीट ने खासी सुर्खियां बंटोरी थीं. उन्होंने पिता के फैसले पर गर्व करते हुए ट्वीट किया था. यह पहला मौका था, जब सिंधिया घराने की चौथी पीढ़ी सियासी तौर पर मुखर नजर आई थी.

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आकाश सिंह राजपूत

कांग्रेस से बीजेपी में आए सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के छोटे बेटे आकाश राजपूत पिता के उत्तराधिकारी के रूप में उभर रहे हैं. सुरखी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आकाश ने प्रचार का प्रमुख जिम्मा संभाला था. गोविंद राजपूत के भाई हीरासिंह राजपूत सागर जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर हैं.

नीतीश सिलावट

सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के छोटे बेटे नीतीश सिलावट 2018 से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन फिलहाल तुलसी सिलावट ने नीतीश सिलावट को लेकर किसी तरह की दावेदारी नहीं ठोकी है.

बीजेपी में ये रहे सफल

  • बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को चुनावी मैदान में उतारने में कामयाब रहे. आकाश विजयवर्गीय को 2018 में इंदौर विधानसभा नंबर दो से टिकट मिला और वो जीते भी. हालांकि इसके लिए विजयवर्गीय को अपने टिकट की बली देना पड़ी.
  • इससे पहले पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा अपने भतीजे सुरेंद्र पटवा की लाॅन्चिंग में सफल रहे.
  • पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने बेटे दीपक जोशी की सफलतापूर्वक लाॅन्चिंग की. फिलहाल दीपक जोशी कांग्रेस में चले गए हैं.
  • पूर्व सांसद कैलाश सारंग बेटे विश्वास सारंग को स्थान दिलाने में सफल रहे.
  • पूर्व विधायक सत्येंद्र पाठक के बेटे संजय पाठक मध्य प्रदेश की राजनीति का प्रमुख चेहरा हैं.
  • पूर्व सीएम वीरेंद्र कुमार सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा वर्तमान सरकार में मंत्री हैं.
  • पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की पुत्रवधु कृष्णा गौर पहले महापौर और अब विधायक हैं. हालांकि कृष्णा गौर को टिकट दिलाने के लिए बाबूलाल गौर को घर बैठना पड़ा था.
  • पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन मिश्रा की बेटी अर्चना चिटनीस न सिर्फ सक्रिय राजनीति में आईं, बल्कि प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा बनीं.

कांग्रेस के चेहरे

नकुलनाथ

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मध्य प्रदेश में आने के बाद बेटे नकुलनाथ तेजी से प्रदेश में सक्रिय हुए और प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद नकुलनाथ पिता की सीट से उत्तराधिकारी के तौर पर मैदान में उतरे और सांसद चुने गए. नकुलनाथ 2019 में फिर सांसद का चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

जयवर्धन सिंह

2003 में सत्ता गंवाने के बाद दिग्विजय सिंह ने 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया, लेकिन विदेश से पढ़ाई करने के बाद जब बेटे जयवर्धन सिंह वापस लौटे तो उनकी धमाकेदार लाॅन्चिंग हुई. दिग्विजय सिंह ने 2013 में राघौगढ़ से जयवर्धन सिंह को मैदान में उतार दिया. 2018 में कांग्रेस की सरकार आने पर जयवर्धन सिंह कैबिनेट मंत्री बनाए गए.

विक्रांत भूरिया

कांग्रेस आदिवासी वर्ग से सबसे बड़े चेहरे पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने 2018 के चुनाव में डाॅक्टर बेटा विक्रांत भूरिया को आगे करने के लिए खुद पीछे हट गए. लेकिन विक्रांत भूरिया चुनाव हार गए. उपचुनाव होने पर कांतिलाल भूरिया फिर मैदान में उतरे और जीत हासिल की. इस बार फिर विक्रांत भूरिया का टिकट फाइनल माना जा रहा है.

अरुण यादव- सचिन यादव

मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के दोनों बेटे अरुण यादव और सचिन यादव लंबे समय से सक्रिय राजनीति में मौर्चा संभाले हुए हैं. निमाड़ में कांग्रेस में सबसे बड़ा कद इसी परिवार का है. अरुण यादव केंद्र में तो सचिन यादव कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया

माधव राव सिंधिया की दुघर्टना में हुए निधन के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया सक्रिय राजनीति में रमे हुए हैं. सिंधिया यूपीए सरकार में भी मंत्री रहे और एनडीए सरकार में भी मंत्री हैं.

तरुण भनौत

पूर्व मंत्री तरुण भनौत के पिता कृष्ण अवतार भनौत और चाचा चंद्रकुमार भनौत मंत्री रहे हैं. इनके बाद तरुण भनौत सक्रिय राजनीति में आए और कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए.

अश्विन जोशी

कांग्रेस के दिग्गज नेता महेश जोशी के भतीजे अश्विन जोशी इंदौर से विधायक रहे. 2009-10 में पेयजल समस्या दूर करने के लिए अपनी विधानसभा में इतने अधिक पानी के टैंकर चलाए कि अश्विन जोशी पानी वाले बाबा के नाम से खूब मशहूर हुए.

अजय सिंह

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह की धमाकेदार लाॅन्चिंग हुई थी. अजय सिंह मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे.

उमंग सिंघार

स्व. नेता प्रतिपक्ष जमुनादेवी के भतीजे उमंग सिंघार कांग्रेस में आदिवासी वर्ग से बड़ा चेहरा हैं. कमलनाथ सरकार में उमंग मंत्री रहे हैं.

हेमंत कटारे

नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सत्यदेव कटारे का निधन हुआ तो कांग्रेस ने उनके बेटे हेमंत कटारे पर भरोसा जताया. अटैर विधानसभा से उपचुनाव में हेमंत की जीत हुई. हालांकि हेमंत 2018 का चुनाव हार गए और सत्ता परिवर्तन के बाद हेमंत ने मेहगांव से भी उपचुनाव लड़ा.

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