कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के विषय में एक कहावत मशहूर है। यहां कहा जाता है कि जब बच्चा रोता है तो सुर में और पत्थर लुढ़कते हैं तो ताल में ग्वालियर संगीत सम्राट तानसेन की नगरी है। यूनेस्को ने भी ग्वालियर शहर को सिटी आफ म्यूजिक का दर्जा दिया है। इसे यूं ही नहीं संगीत की नगरी कहा जाता,यहां कण-कण में संगीत रचा बसा है, इसकी झलक भी ग्वालियर में दिखाई देती है। ग्वालियर में बांसुरी की मधुर धुन पर एक सब्जी वाला अपनी सब्जी बेचकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। जो भी इस सब्जी वाले की बांसुरी की मधुर धुन सुनता है वह खुद ब खुद इनके पास खिंचा चला आता है।

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आपने सब्जी बेचने का इतना अद्भुत और यूनिक तरीका पहले कभी नहीं देखा होगा। यह नजारा सिर्फ आपको सिटी ऑफ म्यूजिक ग्वालियर में ही दिखाई दे सकता है। दरअसल ग्वालियर के कृष्ण भक्त राजकुमार गोस्वामी को बचपन से ही बंसी बजाने का शौक है। वे ग्वालियर शहर के गांधीनगर इलाके में अपना सब्जी का ठेला लगाते हैं। आपने आमतौर पर सब्जी बेचने वालों के मुंह से “सब्जी ले-लो सब्जी” शब्द सुना होगा लेकिन राजकुमार गोस्वामी का तरीका जरा हटके हैं। यह तो अपनी बांसुरी की मधुर तान छेड़ देते हैं।

इनकी बांसुरी की आवाज सुनकर उनके ठेले पर ग्राहकों की भीड़ लग जाती है। जहां से भी इनका ठेला गुजरता है वहां बांसुरी की मीठी धुन लोगों को उनके ठेले पर आने को मजबूर कर देती है। कई सालों से इनका ठिकाना ग्वालियर का गांधीनगर ही है। यहां के लोग अब इन्हें बांसुरी वाले भैया के नाम से जानते हैं। जैसे ही ठेले से ग्राहक गायब होते हैं वैसे ही इनकी बांसुरी की मधुर तान शुरू हो जाती है।

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राजकुमार गोस्वामी कहते हैं कि उन्हें संगीत से गहरा लगाव है। उनके आराध्य देव भगवान श्री कृष्ण है और वह संगीत सम्राट तानसेन को भी अपना गुरु मानते हैं। भगवान कृष्ण की कृपा और तानसेन का आशीर्वाद उन्हें बांसुरी वादक के रूप में मिला है। उनकी बांसुरी संगीत की एक से बढ़कर एक मधुर संगीत छेड़ देती है। उनके ठेले पर सब्जी के साथ-साथ कई प्रकार की बांसुरिया भी रखी रहती हैं। इसे देखकर आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्हें बांसुरी बाजना कितना पसंद है।

लोग बताते हैं कि अगर कोई राहगीर उनके ठेले के पास से गुजर रहा हो और उनकी मधुर बांसुरी बज रही हो तो वह रुके बिना नहीं रह सकता, वह पहले तो उनकी बांसुरी की धुन को सुनेगा और उसके बाद इनसे सब्जी जरूर खरीदेगा। इनका इस तरह सब्जी बेचने का तरीका बेहद अद्भुत और दिलचस्प है।

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कुछ लोग तो इनकी सब्जी की दुकान पर सिर्फ इसलिए आते हैं कि ताकि उन्हें बांसुरी की मधुर धुन सुनने को मिले। पहले कुछ मिनट रुक कर उनके ग्राहक इनकी बांसुरी की मोहन धुन सुनते हैं, उसके बाद वह उनसे सब्जी खरीदते हैं।

वाकई इनका सब्जी बेचने का तरीका बेहद यूनिक है। इनकी बांसुरी की मधुर तान सुनकर हर कोई उनकी तरफ खींचा चला आता है। इसीलिए तो ग्वालियर शहर संगीत का शहर कहा जाता है।  यहां संगीत के विशेषज्ञों की लंबी श्रृंखला है। कुछ लोग मशहूर हो गए तो किसी ने संगीत को ही अपनी दुनिया बना लिया। राजकुमार गोस्वामी भी उन लोगों में से हैं जिन्होंने संगीत को अपना सब कुछ सौप दिया है। उनके इस अद्भुत टैलेंट की हर तरफ तारीफ हो रही है। वह गजब के बांसुरी वादक है। कहते हैं कि कृष्ण की जब बांसुरी बजती थी तो गोपीकाएं और जंगल में घूम रही गौ माता उनकी और खिंची चली आती थी। कुछ ऐसा ही हाल यहां लोगों का है इनका संगीत सुनने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं, सब्जी खरीदना तो सिर्फ एक बहाना है।

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