प्रदीप गुप्ता, कवर्धा– क्वांर नवरात्रि में कवर्धा के मां दंतेश्वरी व चंडी मंदिर से अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को खप्पर निकलेगी. कवर्धा रियासत के राजा महिपाल द्वारा स्थापित मां दंतेश्वरी की महिमा आज भी देखने को मिल रही है. आज भी खप्पर की परंपरा मंदिर में कायम है.

आज अष्टमी की रात 12 बजे मां चंडी व परमेश्वरी दोनों मंदिर से खप्पर निकलेगी. दंतेश्वरी मंदिर में साल में केवल एक बार क्वांर नवरात्रि में ही खप्पर निकलता है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचेंगे. हर साल 50 हजार से अधिक की संख्या में खप्पर देखने श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि खप्पर के नगर भ्रमण से किसी भी प्रकार की कोई भी आपदा, बीमारी नगर में प्रवेश नहीं कर पाती. वहीं शहर में सुख, शांति समृद्धि बनी रहती है.

 

क्षेत्र के लोगों का मानना है कि दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर की यह परंपरा करीब सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है. वहीं शहर के ही मां चंडी मंदिर से 20 साल पहले मां परमेश्वरी मंदिर से निकलना शुरू हुआ है, जो आज भी कायम है. खप्पर मां काल रात्रि का रूप माना जाता है, जो एक हाथ में तलवार और दूसरे में जलता हुआ खप्पर लेकर मध्य रात्रि को शहर भ्रमण करती हैं.

चंडी मंदिर को लेकर मान्यता रही है कि देवी की यह प्रतिमा पहले इतवारी पंडा की कुल देवी थी, जो झोपड़ी में थी, बाद में समिति बनाकर मोहल्लेवासियों ने इसे वर्तमान स्थान पर स्थापित किया. जहां शुरू से ही इतवारी पंडा व चंडी मंदिर से खप्पर लेकर निकलते थे. जो आज भी यह परंपरा कायम है. अष्टमी की मध्य रात्रि को मंदिर से दो पंडा सामने अगुवान रहता है जो खप्पर के रास्ते का बाधा खाली करते हैं.

 

मुख्य पंडा जो कि एक हाथ में तलवार और दूसरी में जलते हुए खप्पर लेकर नगर भ्रमण को निकलते है. इसे कालरात्रि का भी रूप माना जाता है. खप्पर को लेकर पुलिस विभाग द्वारा 1000 से अधिक पुलिस जवानों की ड्यूटी लगाई गई हैं. मंदिर से लेकर पूरे शहर में चौक चौराहों पर विशेष तौर पर व्यवस्था की गई हैं.