रायपुर। राजधानी रायपुर के पहलाजानी अस्पताल (Pahlajani Woman Hospital and Ivf Centre) में बच्चा बदलने का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. पीड़ित पिता का आरोप है कि उनकी पत्नी ने दो बच्चों को जन्म दिया था. जिनमें एक लड़का था और एक लड़की थी, लेकिन प्रसव के बाद उनका बच्चा बदल दिया गया और उन्हें बेटे की जगह किसी और की बेटी दे दी गई. पीड़ित ने अपनी तसल्ली के लिए बच्चियों का DNA टेस्ट कराया तो उनमें से एक का DNA अलग निकला. इसके बाद उन्होंने न्याय के लिए पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ी है. वहीं इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है.

पीड़ित ने बताया कि वह मूल रूप से बड़े बस्तर के बचेली का रहने वाले है. उनकी दो बेटी और एक बेटा था, लेकिन उनके बेटे की मौत की वजह से उनकी पत्नी लगातार बेटे को फिर से पाने की इच्छा व्यक्त करती थी. जिसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2022 में चिकित्सीय परामर्श के लिए राजधानी में अनुपम नगर टी.वी. टावर के पास स्थित पहलाजानी अस्पताल पहुंचे. जहां डॉक्टरों से परामर्श मिलने के बाद 27 अक्टूबर 2022 को आईवीएएफ के जरिए ट्रीटमेंट प्रारंभ हुआ लेकिन पीड़िता की शारीरिक अस्वस्थता के कारण 6 सप्ताह के बाद 8 दिसबंर 2022 गर्भपात हो गया. पहलाजानी हॉस्पिटल ने दूसरी बार फिर से 24 अप्रैल 2023 को प्रक्रिया शुरु की, जिसके बाद वे बचेली चले गए और नियमित जांचें कराते रहे. दिसंबर 2023 को तबियत बिगड़ने पर रायपुर पहुंचे और पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर, माता लक्ष्मी नर्सिंग होम अनुपम नगर में भर्ती कराया.

अस्पताल ने बदल दिया गया बच्चा

पीड़ित ने बताया कि पहलाजानी अस्पताल के डॉक्टर उन्हें बिना बताए ऑपरेशन थियेटर ले गए. और जब कुछ समय बाद जब उसे बाहर निकाला गया तो पीड़िता ने बताया कि उनके घर एक बेटा और एक बेटी ने जन्म लिया है. कुछ समय बाद अस्पताल स्टाफ ने मां को जुड़वां बच्चियां लाकर सौंपीं. पति-पत्नी ने जब बेटा होने के बारे में पूछा तो अस्पताल स्टाफ ने इसे सिरे से नकार दिया.

DNA टेस्ट देख उड़े होश

पीड़ित की पत्नी के बार-बार कहने पर जब उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने परिचितों से सलाह ली और दूसरी लैब से डीएनए टेस्ट का फैसला लिया. इसके बाद जब बच्चियों की DNA पीड़ित ने देखा तो उनके होश उड़ गए, रिपोर्ट में एक बच्ची का DNA तो उनके DNA से 99.99 प्रतिशत मैच खा रहा था लेकिन दूसरी बच्ची का सैम्पल जीरो परसेंट मैच हो रहा था.

इसके बाद पीड़ित ने पहलाजानी अस्पताल के डॉक्टर समीर पहलाजानी और उनकी पत्नी डॉक्टर नीरज पहलाजानी को बच्चियों की DNA रिपोर्ट दिखाकर जवाब मांगा तो वह पीड़ित को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, जिसके बाद पीड़ित ने न्याय के लिए कानून का दरवाजा खटखटाने की ठानी.

दो महीने बाद भी पूरी नहीं हुई पुलिस की जांच

पीड़ित ने बताया कि अप्रैल में उन्होंने रायपुर के खम्हारडीह थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के दो महीने बाद भी अब तक कुछ ठोस कदम नहीं उठाया गया है. पीड़ित का कहना है कि दो महीने में जांच कितनी आगे बढ़ी है इसे लेकर उन्हें अब तक स्पष्ट जवाब नहीं मिला है. इस बीच बच्ची छह महीने की हो गई है और बच्ची के भविष्य को लेकर सवाल खड़ा हो रहे है.

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