वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा और आसपास के जिलों में बच्चे टूटी पुलिया और उफनती नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। कोर्ट ने कहा है कि यह बच्चों की जिंदगी से जुड़ा संवेदनशील मामला है और लंबे समय तक ऐसी स्थिति बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की डीबी ने सुनवाई करते हुए इस गंभीर मामले पर राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

मामला मीडिया रिपोर्ट के बाद सामने आया था, जिसमें स्कूली बच्चों की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए। बच्चे पानी से भरे नदी पार कर स्कूल पहुंच रहे थे। कोर्ट ने इसे बच्चों की जान से जुड़ा मामला मानते हुए स्वतः संज्ञान में लिया। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार को बड़े पुल के निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया है। तकनीकी जांच के बाद 12 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। कांकेर कलेक्टर ने जवाब भेजकर प्रस्ताव संशोधित किया है। 20 अगस्त 2025 को संशोधित डीपीआर गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेज दी गई है। मंजूरी मिलते ही निविदा प्रक्रिया पूरी कर पुल निर्माण का काम शुरू किया जाएगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाते हैं। यह स्थिति असहनीय है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र से हुई बातचीत और अब तक की कार्रवाई पर नया हलफनामा दाखिल करे।