सत्यपाल सिंह,रायपुर। हीमोफीलिया बीमारी प्रदेश में नासूर होता जा रहा है. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है. हैरान करने वाली बात ये है कि प्रदेश में रजिस्टर्ड मरीजों की संख्या एक हजार के करीब है. राजधानी में कहने मात्र को एक डॉक्टर है, लेकिन हॉस्पिटल में दवा ना है ना इस रोग में लगने वाला इंजेक्शन. इसलिए सरकारी अस्पतालों से मरीजों की मौत हो रही है.

स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक सुभाष पांडे ने कहा कि हिमेटोलॉजी के एक डॉक्टर है, जो रायपुर के दाउ कल्याण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (डीकेएस) में पदस्थ है. रक्त विकार संबंधित मरीजों का इलाज करते है. डीकेएस के अधीक्षक डॉ. शिप्रा शर्मा ने बताया कि डीकेएस में एक डॉक्टर है, लेकिन इस रोग में लगने वाला इंजेक्शन और दवा हमारे पास नहीं है.

डॉरेक्टर मेडिकल एजुकेशन आर के सिंह ने बताया कि एक डॉक्टर डीकेएस में है. इंजेक्शन और दवा के लिए पत्र जारी कर दिया गया है. सीजीएमएससी को इंजेक्शन और दवा उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है. मेडिकल कॉलेजों में पद है ही नहीं, तो डॉक्टर होने का सवाल नहीं है.

प्रदेश के एकलौते हिमेटोलॉजी डॉ. अंबर गर्ग का कहना है कि वो मरीजों देखते है. आवश्यकता अनुरूप मरीज को दवा लिखकर दे देते हैं. बहते खून को रोकने के लिए फैक्टर-8, फैक्टर-9 इंजेक्शन लगता है, जो डीकेएस में नहीं है. इसलिए मरीजों को मेकाहारा भेजा जाता है.

बता दें कि दो साल पहले की पंजीयन के आधार पर प्रदेश में करीब 700 मरीज पंजीबद्ध है. जिसमें राजधानी के खरोरा में ही 50 से ज्यादा मरीज है. हिमोफीलिया का मरीज आईसीयू में भर्ती मरीज से भी ज्यादा डेंजर जोन में होता है. मरीज के शरीर में कही भी कट लगने या चोट लगने से रक्त बहता ही रहता है, बंद नहीं होता है. ज्यादा प्रेसर से दबाने पर नसों में सुजन आ जाता है और अंदर ही खून बहने लगता है. ऐसे स्थिति में बस्तर के मरीज को इलाज के लिए रायपुर लाने तक जीवित रखे रहना उतना ही कठिन है, जितना बंद कमरे में फंदे पर लटके लोग का जीने का आसार.

हिमेटोलॉजी किसके अध्ययन को कहते हैं?

हेमेटोलॉजी रक्त, रक्त बनाने वाले अंगों और रक्त रोगों का विज्ञान या अध्ययन है. चिकित्सा क्षेत्र में हेमेटोलॉजी में रक्त विकारों और घातक रोगों का उपचार शामिल है. जिसमें हेमोफिलिया, ल्यूकेमिया, लिम्फोमा शामिल हैं. हेमेटोलॉजी आंतरिक चिकित्सा की एक शाखा है, जो शरीर विज्ञान, रोगविज्ञान, ईटियोलॉजी, निदान, उपचार, निदान और रक्त से संबंधित विकारों की रोकथाम से संबंधित है.