झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई घाटशिला विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव होने वाला है. उससे पहले सीएम हेमंत सोरेन और 1 साल पहले JMM छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बीच तल्खी बढ़ गई है. हालांकि, इस उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी और चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन और जेएमएम के प्रत्याशी दिवंगत मंत्री के बेटे सोमेश सोरेन के बीच मुकाबला है. लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह लड़ाई हेमंत सोरेन और चंपाई सोरेन के बीच हो गई है.
आंसुओं का जवाब आंसुओं से
इस चुनावी प्रचार में तल्खी उस वक्त बढ़ गई, जब हेमंत सोरेन ने घाटशिला के धलभूमगढ़ में आयोजित चुनावी सभा में बाबूलाल सोरेन को बैल कह दिया. वहीं उनकी पार्टी के प्रवक्ता ने बाबूलाल के पिता चंपाई सोरेन को ‘पार्टी का गद्दार’ कह दिया. चंपाई सोरेन चुनाव प्रचार के अंतिम दिन प्रेस वार्ता में हेमंत सोरेन के इस बयान पर ऐतराज जताते हुए रो पड़े.
इस उपचुनाव में जेएमएम प्रत्याशी की मां सूरजमनी सोरेन भी घाटशिला के गालुडीह की सभा में अपने संबोधन में रो पड़ी थीं. तो रविवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बीजेपी प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन के पिता चंपाई ने भी रोकर बीजेपी की ओर से आंसुओं का हिसाब बराबर कर दिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता का दिल किसके आंसुओं पर पिघलता है.
घाटशिला सीट पर जीत-हार का समीकरण
घाटशिला सीट पर कुल 2,55,823 मतदाता हैं, जिनमें लगभग 45% आदिवासी, 6% अल्पसंख्यक और शेष ओबीसी व सामान्य वर्ग के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. इस सीट पर गैर-आदिवासी और गैर-मुस्लिम मतदाता हमेशा जीत-हार तय करते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉक्टर प्रदीप बालमुचू का व्यक्तिगत वोट बैंक भी चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
पिछले चुनाव में रामदास सोरेन ने दर्ज की थी जीत
पिछले चुनाव में दिवंगत रामदास सोरेन ने बीजेपी के बाबूलाल सोरेन को 22446 मतों से हराया था, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. कांग्रेस कार्यकर्ता जेएमएम से नाराज हैं और हिंदू वोटों का बड़ा हिस्सा बीजेपी की ओर झुक सकता है. बीजेपी जहां 40 स्टार प्रचारकों के साथ मैदान में है, तो वहीं जेएमएम की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन और इंडिया गठबंधन के मंत्री प्रचार संभाल रहे हैं.
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