गोवा के अपरोरा नाइट क्लब की भयावह घटना देश अब तक नहीं भूला है। 25 मासूम ज़िंदगियाँ एक पल में खत्म हो गईं किसी का भाई, किसी का पति, किसी का पिता… उस दर्द का कोई मरहम नहीं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि देश की राजधानी दिल्ली भी ऐसी ही लापरवाहियों के बीच सांस ले रही है। जांच में पता चला है कि दिल्ली में कहने को लगभग 1,000 होटल और क्लब संचालित हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 90 के पास ही फायर सेफ्टी NOC है। इन 90 प्रतिष्ठानों में 52 होटल और 38 क्लब शामिल हैं। फायर सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सैकड़ों प्रतिष्ठान बिना अनिवार्य सुरक्षा जांचों और उपकरणों के ही चल रहे हैं, जो किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं।
दिल्ली में करीब 1,000 लाइसेंस प्राप्त हॉस्पिटैलिटी प्रतिष्ठान होने का अनुमान है, लेकिन बार-बार पूछने के बावजूद दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग दिसंबर 2025 तक राजधानी में कुल होटलों और क्लबों की अद्यतन संख्या उपलब्ध नहीं करा सके। अग्निशमन सुरक्षा विशेषज्ञों ने सोमवार को दिल्ली के फायर NOC सिस्टम में एक बड़ी खामी की ओर ध्यान आकर्षित किया। विशेषज्ञों के मुताबिक, अग्निशमन विभाग द्वारा एक बार NOC जारी किए जाने के बाद जो तीन साल तक वैध रहती है उसके बाद प्रतिष्ठानों में होने वाले उल्लंघनों की नियमित निगरानी नहीं हो पाती। कारण यह है कि संबंधित एजेंसियों को बीच-बीच में (इंटरिम) निरीक्षण करने का अधिकार ही नहीं दिया गया है, जिसके चलते कई होटल, बार और क्लब बिना सुरक्षा मानकों का पालन किए ही संचालन जारी रखते हैं।
दिल्ली अग्निशमन सेवा के पूर्व प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि फायर NOC केवल विस्तृत निरीक्षण के बाद ही जारी की जाती है, लेकिन रेस्तरां, कैफे, क्लब और होटल इसके बाद परिसर में कई तरह के बदलाव कर लेते हैं जिनकी जांच लंबे समय तक नहीं हो पाती। उन्होंने बताया, “अग्निशमन विभाग या NOC जारी करने वाली अन्य एजेंसियों के पास तब तक पुनः निरीक्षण करने का अधिकार नहीं होता, जब तक कोई शिकायत दर्ज न हो जाए या कोई हादसा न घटित हो। इसी वजह से कई उल्लंघन वर्षों तक पकड़ में ही नहीं आते।”
अतुल गर्ग ने बताया कि दिल्ली में 90 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र में संचालित होने वाले रेस्तरां के लिए फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने समझाया कि 90 से 270 वर्ग मीटर के बीच चल रहे प्रतिष्ठानों में दो सीढ़ियां होना जरूरी है, और दोनों की चौड़ाई कम से कम 1.5 मीटर होनी चाहिए। वहीं, 270 वर्ग मीटर से बड़े प्रतिष्ठानों में कम से कम एक सीढ़ी 2 मीटर और दूसरी 1.5 मीटर चौड़ी होनी अनिवार्य है। गर्ग के अनुसार कई रेस्तरां मालिक interiors को आकर्षक बनाने और seating क्षमता बढ़ाने के लिए बाद में परिसर में बदलाव कर लेते हैं। इससे जरूरी सुरक्षा उपायों से समझौता होता है। उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंसियों द्वारा नियमित निरीक्षण न होने की वजह से ऐसे कई उल्लंघन वर्षों तक पकड़ में नहीं आते।
पूर्व अग्निशमन निदेशक ने जोर देकर कहा कि सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, जिसके तहत रेस्तरां और नाइट क्लबों में होने वाले नियम उल्लंघनों की नियमित जांच की जा सके। यह जांच समय-समय पर निरीक्षण या अचानक छापेमारी दोनों तरीकों से हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि एक स्वतंत्र एजेंसी गठित की जा सकती है, जो नियमित अंतराल पर इन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करे और यह सुनिश्चित करे कि सभी सुरक्षा मानकों और नियमों का पालन हो रहा है। उनके अनुसार, रेस्तरां और क्लबों की सीसीटीवी लाइव फीड प्राप्त कर वास्तविक समय में निगरानी करना भी एक व्यावहारिक और प्रभावी विकल्प हो सकता है।
इस तरह से होती लापरवाही
दिल्ली के कई बार क्षमता से अधिक लोगों को अंदर प्रवेश दे देते हैं। कमाई की लालच में संचालक सुरक्षा नियमों की अनदेखी करते हैं, जबकि फायर एनओसी के प्रावधान काफी सख्त हैं। नियमों के अनुसार बार में प्रवेश और निकासी के लिए दो अलग-अलग दरवाजे होने चाहिए और दो सीढ़ियां अनिवार्य हैं, लेकिन शहर के अधिकांश बार इस मानक का पालन नहीं करते। बार में कम डेसिबल पर संगीत बजाने के लिए अलग से अनुमति लेनी होती है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होता है कि प्रवेश और निकासी के दौरान आवाज बाहर न जाए। बावजूद इसके, लगभग सभी बार में तेज आवाज में संगीत बजाया जाता है। नियम यह भी कहते हैं कि बार रात एक बजे तक ही खुले रह सकते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में बार तड़के चार बजे तक संचालित होते दिखते हैं।
जानकारी के मुताबिक, 90 वर्गमीटर से कम क्षेत्र में बने बार कागज़ों में अपनी बैठने की क्षमता 48 दिखाते हैं, क्योंकि ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए फायर एनओसी अनिवार्य नहीं होती। लेकिन इसी छूट का फायदा उठाकर कई बार संचालक 80 से 100 तक कुर्सियां लगाकर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हैं। वहीं जिन बारों के पास 100 लोगों की क्षमता का लाइसेंस होता है, वे हकीकत में 150 से अधिक लोगों को अंदर प्रवेश देते हैं।
बार संचालन पर निगरानी की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। किसी स्वतंत्र एजेंसी या विभाग के पास नियमित जांच का प्रावधान नहीं है, जिसके आधार पर उल्लंघन पकड़कर कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सके। यही कारण है कि बार लगातार नियम तोड़ते रहते हैं और उनके लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी प्रभावी रूप से नहीं हो पाती।
रिहायशी ही अनधिकृत काॅलोनियों में भी चल रहे हैं रेस्तरां और बार
दिल्ली में नियमों के अनुसार केवल व्यावसायिक तौर पर अधिसूचित सड़कों पर ही रेस्तरां, बार और होटल खोले जा सकते हैं। इसके बावजूद, राजधानी में कई रिहायशी और अनधिकृत कॉलोनियों में भी बार संचालित हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब दिल्ली पुलिस, नगर निगम के पब्लिक हेल्थ विभाग, पब्लिक हेल्थ इंस्पेक्टर और उप स्वास्थ्य अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता। आरोप है कि निरीक्षण और लाइसेंसिंग की प्रक्रिया में अनियमितताओं के चलते ऐसे प्रतिष्ठान बिना अनुमति के चल रहे हैं।
इलेक्ट्रिक पटाखों के लिए नहीं है कोई नियम
दिल्ली के कई बार और क्लबों में पार्टी के दौरान इलेक्ट्रिक पटाखों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ये इलेक्ट्रिक पटाखे खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होते, बल्कि ऑर्डर पर विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं। चिंता की बात यह है कि इनके निर्माण, बिक्री या उपयोग पर न तो कोई स्पष्ट नियम है, न ही किसी प्रकार की निगरानी व्यवस्था। नियमों की इस कमी के कारण इनका चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। गोवा के क्लब में लगी आग मामले में भी शुरुआती जांच में इलेक्ट्रिक पटाखों की भूमिका सामने आई है।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक



