पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी औैर बीबी सुलक्खनी जी का 536वां विवाह पर्व शुक्रवार को बटाला में पूरे हर्षोल्लास से मनाया गया। शुक्रवार सुबह बाबा नानक के ब्याह पर्व को समर्पित बटाला के सभी गुरुद्वारा साहिब में दो दिन पहले शुरू किए गए पाठ का भोग डाला गया।

इसके बाद गुरुद्वारा डेहरा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी साहिब में सुशोभित करके पंज प्यारों की अगुवाई में एक विशाल व भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। इस भव्य नगर कीर्तन में स्थानीय संगत के अलावा सुल्तानपुर लोधी से बरात के रूप में पहुंची संगत भी शामिल हुई। नगर कीर्तन में अन्य राज्यों से भी संगत पहुंची।

नगर कीर्तन की अगुवाई कर रहे पंज प्यारों को रास्ते में विभिन्न संगठनों ने सिरोपा भेंट करके सम्मानित किया। पालकी साहिब के आगे-आगे गतका पार्टी के खिलाड़ी और निहंग सिंह अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन कर रहे थे। गुरु के प्रति आस्था इस हद तक थी कि करीब 100 लोग जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं, पालकी के आगे-आगे नंगे पांव झाडूओं से रास्ते की सफाई कर रहे थे।


नगर कीर्तन के दौरान कुछ समय के लिए बरसात हुई। श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगी। बरसात में भी संगत नगर कीर्तन में चलती रही। नगर कीर्तन के दौरान जगह-जगह लंगर और ठंडे मीठे जल के स्टॉल लगे हुए थे। बाबे के विवाह पर्व को लेकर शुक्रवार को बटाला के सभी गुरुद्वारों को सजाया गया था औैर गुरबाणी का प्रवाह चल रहा था। बटाला स्वागती गेटों से अटा पड़ा था।


श्रद्धा और आस्था के अलावा इस पर्व के दौरान पुलिस प्रशासन भी लोगों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद दिखा। चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी तैनात थे। कुछ पुलिस कर्मी सिविल ड्रेस में भी पूरे माहौल पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए थे।