रायपुर। केन्द्र सरकार द्वारा पारित काले कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर कल दिल्ली की सड़कों पर विशाल ट्रेक्टर मार्च की तैयारियां चरम पर पहुंच गई है. आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बात कॉरपोरेट परस्त व किसान,कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून के खिलाफ इतना बड़ा विशाल आंदोलन चल रहा है. इसमें शामिल होने छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ की ओर से सैकड़ों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल चुके हैं.

इस आंदोलन की व्यापकता यह है कि 25 तारीख के शाम तक ही सिंघु, टिकरी, गाजीपुर, शाहजहांपुर, पलवल जैसे दिल्ली सीमाओं पर पांच लाख से अधिक की संख्या में ट्रैक्टर पहुंच चुके हैं जो 26 जनवरी के किसानों द्वारा आयोजित परेड में शामिल होंगे। परेड में शामिल होने ट्रैक्टरों में किसानों के अलावा करोड़ो की तादात मेंआम जन सैलाब उमड़ पड़ी है। वही किसान परेड में शामिल होने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, के अलावा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, सहित देश भर के किसान पहुंच रहे हैं।

छत्तीसगढ़ से आंदोलनकारी किसानों का जत्था पिछले 8 जनवरी से दिल्ली सीमाओं पर हो रहे आंदोलन में शामिल है। सिंघु बार्डर पर मदन लाल साहू, तेजराम विद्रोही, शंकर साहू, राधेश्याम शर्मा, टिकरी बार्डर में सौरा यादव, टिकेश कुमार, प्रमोद कुमार, तुहीन देब और गाजीपुर बार्डर पर पारसनाथ साहू, जागेश्वर चन्द्राकर के नेतृत्व में किसान रैली के रूप में सम्मिलित रहेंगे।

छत्तीसगढ़ से आंदोलन में सम्मिलित नेताओं ने कहा कि दिल्ली सीमाओं पर आंदोलन का नेतृत्वकर्ता किसान नेताओं ने आह्वान किया है कि आज तक देश में गणतंत्र दिवस पर इस देश के गण यानी कि हम लोगों ने कभी इस तरह परेड नहीं निकाली है। हमे इस परेड के जरिए देश और दुनिया को अपना दुख दर्द दिखाना है, तीनों किसान विरोधी कानूनों की सच्चाई को बताना है। हमें ध्यान रखना है कि इस ऐतिहासिक परेड में किसी किस्म का धब्बा ना लगने पाए। परेड शांति पूर्वक और बिना किसी वारदात के पूरी हो इसमें हमारी जीत है। याद रखिए, हम दिल्ली को जीतने नहीं जा रहे हैं, हम देश की जनता का दिल जीतने जा रहे हैं।