रायपुर. आरपीएफ में व्याप्त कुछ खामियों को लेकर एक गुमनाम चिट्ठी सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है. पिछले कई दिनों से आरपीएफ के अधिकारी-कर्मचारियों के ग्रुप में भी ये जमकर वायरल हुई.

 रेल मंत्री के नाम लिखी गई ये वायरल चिट्ठी कुछ इस प्रकार है.

 श्रीमान आपके द्वारा हाल ही में आपने भारतीय रेल में चली आ रही अंग्रेजों के जमाने की एक सामंतवादी परंपरा, जीएम को रेसुब के जवानों द्वारा सैल्यूट करने खत्म कर अच्छी पहल की है. इसके लिए आपको धन्यवाद.

आदरणीय भारतीय रेल खास कर आरपीएफ में तो बहुत सारी अंग्रेजों के जमाने की सामंतवादी और दमनकारी खुद को भारतीय नागरिकों से उच्च स्तर का नागरिक जताने वाली परंपराए चली आ रही है उनको भी आप बन्द करेंगे तो वह भी एक बहुत अच्छी पहल होगी.

इनमें से कुछ परम्पराओ से मैं अवगत कराता हूं.

1) आरपीएफ के डीएससी, सीनियर डीएससी, DIG, IG के साथ एक दिन में दो-दो गनर चलते है. इनमें एक गनर सुबह 10 बजे 2 बजे तक डयूटी करता है दूसरा 4 बजे से 6 बजे तक करता है. बाकी स्टाफ लगातार 12 घंटे या उससे अधिक की ड्यूटी करते है. चिट्टी में की गई मांग के मुताबिक इन अधिकारियों के गनर हटाने की जरूरत है या दिनभर के लिए एक गनर देकर स्टाफ को फील्ड के डयूटी दी सकती है.

2) इसी तरह इनके तथा DRM एवं GM के बंगले में डयूटी करने वाले स्टाफ भी हटाये जाने चाहिए.

3) बैरक में रहने वाले आरपीएफ जवानों के भोजन के लिए कूक की भर्ती होती है. लेकिन यह कूक जवानों के लिए खानां बनाने के बजाए डीएससी, सीनियर डीएससी, DIG, IG के बंगलों पर खाना बनाने में लगे हैं. अधिकारियों के बंगलों में कूक की ड्यूटी लगाने का कोई नियम नहीं है फिर भी इन अधिकारियों के द्वारा गैर कानूनी कार्य कर जबरन कूक लोगों को अपने बंगलों पर खाना बनाने के लिए लगा रखा है. आप तुरन्त आदेश जारी कर सबसे पहले अधिकारियों के बंगलो पर खाना बनाने वाले कूक को बंगलो से हटाकर केवल और केवल जवानों के लिए बैरक में जाकर खाना बनाने के लिए उनकी असली डयूटी में लगाकर एक और सामंतवादी परंपरा बन्द कर दीजिए.

4) यह तथाकथित उच्चाधिकारि बैरक में जवानो के मेस में यूज होने वाले मेस का गैस सिलिंडर अपने घर में यूज करते हैं. इनकी जांच आसानी से आप कर सकते हैं. सारे डिवीजन और जोन RPF के अधिकारियों के घर का गैस कनेक्शन की और उनमें कितने सिलिंडर खर्च किये इसकी डिटेल मांगिये, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. इनके घर में खर्च होने वाले गैस सिलिंडर का पैसा जवानों के मेस डायट में जुड़ता है और इस कारण जवानों को जादा पेमेंट करना पड़ रहा है. एक तरह से इनका घर भी सिपाही ही चला रहे है.

5) DSC, Sr DSc या IG आदि के घर मे लगे वाटर प्यूरीफायर का मेंटेनेंस भी बैरक में लगे वाटर प्यूरीफायर के नाम कराकर उस बिल को बैरक मेंटेनेंस में दबाव देकर एडजस्ट कराते हैं. अब भले इसके सबूत नहीं मिल सकते हैं लेकिन यह हो रहा है. भले ही बैरक में वाटर प्यूरीफायर बन्द पड़े हो.

6) किसी भी RTI के आवेदन का जवाब नही देना. यह तथाकथित आरपीएफ के उच्च अधिकारी आसानी से नहीं देते हैं. उटपटांग जवाब या नियम का हवाला देकर आवेदकों को टरका देते हैं. अपील या CIC में जाने से ही जानकारी मिलती है. जबकि संसद ने यह कानून जनता की सुवीधा के लिए बनाया है लेकिन यह आधुनिक सामंतवादी अंग्रेज अधिकारी इसमे भी अड़ंगा लगाते हैं. आप खुद इसकी जानकारी ले सकते है कि कितनी बार अपील में जाने के बाद RTI के जवाब इन अधिकारियों ने दिए हैं.

RTI में जानकारी नहीं देने वाले अधिकारियों की सूची मांगकर इनको दंडित किया जाना चाहिए.

7) प्रमोशन- यह तथाकथित उच्च अधिकारी खुद तो ग्यारंटी से 4 प्रमोशन पाते है लेकिन नॉन गैजेटेड आरपीएफ के बल सदस्यों के प्रमोशन की उनको कोई चिंता नहीं होती. IPF से ASC दस दस साल तक नहीं होने देते. APR का गेम खेलते रहते हैं.

8) यह तथाकथित उच्चधिकारी ट्रांसफर के बाद दोबारा उसी ऑफिस में अलग पोस्ट पर तुरंत वापस आते है लेकिन नॉन गैजेटेड आरपीएफ के बल सदस्यों के लिए 10 या 12 साल बाद ही वापसी संभव है. यह सामंतवाद का एक और उदाहरण है. अपने हिसाब से अपने फायदे के नियम यह सामंतवादी मानसिकता के अधिकारी बनाये हैं. और सेम पोस्ट में भी इनको वापस आना हो तो 6 साल बाद यह लोग सेम शहर सेम ऑफिस सेम पोस्ट पर भी आ सकते हैं. इसे बदल दिया जाना चाहिए. क्लस्टर सिस्टम बन्द कर दिया जाना चाहिए.

9)    नॉन गैजेटेड आरपीएफ के बल सदस्यों के लिए एक शहर मे 10 साल और 15 साल की नौकरी के बाद जबरन दूसरे मण्डल में ट्रांसफर का नियम बनाया है. इससे उनके बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है लेकिन इन राजपत्रित अधिकारियों को केवल खुद से मतलब है.

10) जांच में दबाव और जबरन पनिशमेंट- जादातर अनुशासनिक मामलों में बकवास आरोप लगाकर चार्जशीट दी जाती है. यह आरोप साबित भी नहीं होते लेकिन अपना ईगो बनाकर जांच अधिकारी पर दबाव देकर आरोप साबित करवाते है. लेकिन गरीब बेचारा नॉन गैजेटेड बल सदस्य एक-दो अपील और रिवीजन में जाकर चुप बैठता है, कोर्ट जाने के लिए उसके पास पैसा और समय होता नहीं है और चुपचाप इनका अत्याचार सहता है. या फिर इनके किसी दलाल को पकड़कर बीवी के जेवर बेचकर इनको पैसे देकर अपनी सजा खत्म या कम करा लेता है.

11) मीडिया में इनके खिलाफ न्यूज़ छापे तो कुछ नहीं- यह सबसे बड़ी विडंबना है कि किसी बल सदस्य के खिलाफ कोई न्यूज़ छप जाती है तो विभाग की छवि धूमिल करने का आरोप लगाकर उसे कड़ी सजा दी जाती है. भले ही वह समाचार बाद में झूठ निकले या किसी केस में फंसने की न्यूज़ हो और बाद में कह न्यूज़ फर्जी साबित हो या उस केस से बल सदस्य बाइज्जत बरी हो जाये, फिर भी उसे सजा देंगे जरूर की आपके कारण विभाग की छवि धूमिल हुई है. और इन तथाकथित राजपत्रित अधिकारी यों के खिलाफ कितना भी मीडिया छापे, न तो उसकी जांच होती है ना इनको विभाग की छवि धूमिल करने की सजा मिलती है.

12) बेनामी शिकायत अगर बल सदस्य की हो तो उस बेनामी शिकायत की जांच कर उसे सजा जरूर दी जाती है, भले ही उसमे सबूत मिले चाहे नहीं मिले. लेकिन इन  तथाकथित राजपत्रित अधिकारियों खिलाफ कितनी भी बेनामी शिकायते होने दीजिए उन मामलों की जांच नहीं होती, उसमे भी अगर कोई DSC या Sr DSC हो और उस डिवीजन में शिकायत होगी तो वह फ़ाइल होगी, IG की सिकायत हो और जोन में शिकायत होगी तो जवाब भेजेंगे की नियम के अनुसार बेनामी सिकायत की जांच नहीं होती.

13) यह खुद मंडल या जोन के मालिक होते है, अपने क्षेत्र में यह जो चाहे करे इनको कोई रोकटोक नहीं होती. इनके ड्राइवर इनके कारखास स्टाफ इनके गांव घर भेजकर उनसे घर के काम करवाते है. वहीं यह यह स्टाफ फंसेगा तो उसे तुरंत, सस्पेंड भी करना इनका बाएं हाथ का काम है. यह लोग घर छुट्टी जाएंगे तो इनके गनर और ऑर्डरली की थाने में फर्जी डयूटी दिखाकर इनको यूनिफॉर्म में अपने साथ ले जाते है ताकि रास्ते में और अपने पड़ोस में इम्प्रेशन जमा सकेंगे. अब भले ही आपको फिल्ड में डयूटी के लिए स्टाफ कम पड़ेगा इनको कोई फर्क नहीं पड़ता.

14 ) प्रमोटी ASC और DSC के बुरे हाल कर देते है. प्रमोटी दानापुर के डीएससी को सस्पेंड कर उसे मद्रास भेज दिया. जबकि जो स्टाफ केस में फंसे थे वह छुट्टी में इस काम को अंजाम दिये थे, उनकी रिपोर्ट जिस पर डीजी सर नाराज हुए वह रिपोर्ट डीएससी की अनुपस्थिति में ASC ने लिखी थी, फिर भी डीएससी का बुरा हाल कर दिया. वंही नागपुर के एक आरपीएफ अधिकारी का खास बन्दा जिसकी फर्जी डयूटी नागपुर में दिखाते थे और उसको अधिकारी दिल्ली में अपने पर्सनल काम पर उसे लगा रखा था, वह स्टाफ नारकोटिक्स मामले में जेल गया तो अधिकारी को रेलवे बोर्ड में बैठे IG और ADG लोगों ने कोई नुकसान होने नहीं दिया.

15) सिक से जबरन फिट. कोई स्टाफ बीमार पड़ेगा और सिक में रहकर इलाज कराएगा तो रेलवे डॉक्टर पर दबाव देकर उनको जबरन डयूटी के लिए फिट करवाते है. रेलवे के मेडिकल ऑफिसर को इनके दबाव में नहीं आने एवम दबाव देने वाले RPF के अधिकारियों का रिपोर्ट सीधे मंत्री जी को करने का सुझाव देने की कृपा करें.

16) कोर्ट केस, पोस्टिंग प्रमोशन. किसी बल सदस्य के खिलाफ कोई मामला दर्ज होगा तो वह मामला भले ही आगे जाकर कोर्ट में झूठा साबित हो और बल सदस्य बरी हो जाए लेकिन उस बल सदस्य को विभाग की छवि खराब करने का आरोप लगाकर कई तरह से प्रताड़ित करते हैं जैसे, सेवा से बर्खास्त करते हैं. उसे प्रमोशन नहीं देते या उसे सेंसेटिव पोस्ट पर पोस्टिंग नही देंगे. लेकिन अगर कोई भी डायरेक्ट क्लास वन अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज होता है तो उसे प्रमोशन भी मिलता है और रिकवेस्ट ट्रांसफर पोस्टिंग भी मिलती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के कई सारे आदेश है कि कोर्ट से फैसला होने तक किसी भी कर्मचारी को दोषी नहीं माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट का यह अनुकूल फैसले का यह अधिकारी एलपीजी केवल खूद के लिए इस्तेमाल करते हैं.

17 ) TMM. TMM से ट्रांसफर सिस्टम बहुत अच्छा है. वर्तमान डीजी सर ने ट्रांसफर में भ्रष्टाचार रोकने के लिए इस सिस्टम को लागू कर बहुत अच्छा किया है. डीएससी और IG लोगों को ट्रांसफर में पैसा खाने को नहीं मिल रहा है इसलिए इस TMM को बन्द करना चाह रहे हैं. इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. सर इस सिस्टम को बंद मत होने दीजिए.

18)  ट्रांसफर में बॉटम सीनियरिटी- सर सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक अगर कोई इंटर जोन रिक्वेस्ट ट्रांसफर जाना चाहता है तो उसकी आधी ज़िंदगी तो ट्रांसफर की आस में ही निकल जाती है. ट्रांसफर होता भी है तो उसे उस जोन की बॉटम सीनियरिटी मिलती है. ऊपर से इन्टरमिडीएट्री रैंक में इंटर जोन रिक्वेस्ट ट्रांसफर का प्रावधान ही नहीं रखा है. जैसे हवलदार, ASI इंस्पेक्टर अपनी सेम रैंक में इंटर जोन रिक्वेस्ट ट्रांसफर नहीं जा सकते हैं. प्रमोटी SI ट्रांसफर नहीं जा सकता. इनको सिपाही बनकर इंटर जोन रिक्वेस्ट ट्रान्सफर जाना पड़ेगा. यह सारे परेशान करने वाले नियम इन डायरेक्ट RPF अफसरों ने बना रख्खे है.

18) बंगला गेट खोलना- सर आपने सैल्यूट मारने की सामंती परंपरा बन्द करने का आदेश दिया है. लेकिन सिपाही हवालदार आज भी RPF के अधिकारियों तथा DRM एवं GM के बंगलों में गेट खोलने की ड्यूटी कर रहे हैं. इन अधिकारियों को तथा इनके परिवार एवं परिवार के सदस्यों के लिए बार बार सैल्यूट मारकर गेट खोलना एवं बन्द करना पड़ रहा है. सर इस तरह की सभी बंगला डयूटी बन्द करने का आदेश जारी कीजिए सर. बहुत ज्यादा इंसल्ट सहना पड़ रहा है. यह अधिकार तथा इनके परिवार के लोग जवानों को बार बार अपमानित करते रहते हैं.

19) परेड-, सर यह कथित उच्चअधिकारी मंडे परेड में अनुपस्थित रहने वाले बल सदस्यों को सजा देते हैं जबकि यह अधिकारी कभी भी खुद मंडे परेड अटेंड नहीं करते हैं. सर कृपया इन सभी अधिकारियों को मंडे परेड में स्वयं खुद उपस्थित रहने का आदेश जारी कीजिये सर.

20) SI का प्रमोशन- सर सीधी भर्ती आने वाले SI को केवल एक प्रमोशन मिलता है और वह बस इंस्पेक्टर बनकर रिटायर होता है. और सीधी भर्ती में आनेवाले ASC को 4 प्रमोशन की ग्यारंटी होती है. यह लोग कम सेवा अवधी में ही आसानी से IG बन जाते हैं. फिर भी यह SI और IPF को सबसे ज्यादा परेशान कर उनसे पैसो की जबरन उगाही तथा अन्य सेवाएं लेते रहते हैं. इन सीधी भर्ती वाले SI को कम से कम 3 प्रमोशन की ग्यारंटी वाला नियम बनाने के लिए आदेश दीजिये सर. प्रमोटी अफसरों के प्रमोशन के बहुत बड़ा बैकलॉग भरना बाकी है और इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. सबसे पहले तो सीधी भर्ती में आने वाले ASC की अगले बीस साल के लिए बहाली बन्द करना जरूरी है तब जाकर कंही यह बैकलॉग पूरा हो सकता है. इसके लिए रेल मंत्रालय से तुरंत UPSC को लेटर भेजकर ASC का रिक्रूटमेंट नहीं करने को लेकर भेजा जाए.

21. इंटर रेल ट्रांसफर- इस ट्रांसफर में भी सर हमे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन्टरमिडीएट्री रैंक में स्वयं के अनुरोध पर ट्रांसफर नहीं करने का नियम है लेकिन सजा के तौर पर सभी रैंक में ट्रांसफर जरूर कर देते है. इसी तरह स्वयं के अनुरोध पर सभी रैंकों में ट्रांसफर का नियम बना दीजिये सर बड़ी कृपा होगी.

22. अपग्रेडेशन और रिस्ट्रक्चर- यह करते समय सिपाही और ASC की पोस्ट घटाने के बजाए बढ़ाने का आदेश दीजियेगा सर. ऊपर से इंस्पेक्टर की पोस्ट बढ़ाते जा रहे है और उनके साथ काम करने के लिए सिपाही के पोस्ट घटाने से बल ही उपलब्ध नहीं हो रहा है. फील्ड में सिपाही नहीं रहेगा और केवल इंस्पेक्टर और DIG-IG की पोस्ट बढ़ाने से यह लोग फील्ड में काम के लायक नहीं होते केवल ऑफिस के लिए होते है. इनकी पोस्ट घटा दीजिये सर. कोई जरूरत नहीं इन पोस्टों को बढ़ाने की.