नई दिल्ली. हत्या जैसे गंभीर मामले में दिल्ली पुलिस का गैर-पेशेवर रवैया अदालत के सामने आया है. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बगैर साक्ष्य एक व्यक्ति को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया. पांच साल यह व्यक्ति तिहाड़ जेल में बंद रहा.

अब अदालत के समक्ष मामला पहुंचा तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. अदालत ने पाया कि इस आरोपी के खिलाफ कोई सीधा साक्ष्य ही नहीं है. अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करते हुए मामले को दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजने के आदेश दिए हैं.

तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार शर्मा की अदालत के समक्ष दिल्ली पुलिस की पोल तब खुली जब आरोपी राजेश उर्फ राज की जमानत याचिका सुनवाई के लिए आई. इस आरोपी की गिरफ्तारी महज एक मोबाइल फोन के आधार पर की गई, जोकि हत्या के समय व हत्या के बाद उस जगह पर मौजूद था जहां इस घटना को अंजाम दिया गया. हालांकि यह मोबाइल फोन राजेश उर्फ राज का था ही नहीं. दरअसल यह पूरा मामला एक मोबाइल फोन नम्बर पर टिका है. पुलिस का कहना था कि राजेश उर्फ राज को एक मोबाइल नम्बर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. जब डिटेल निकाली गई तो यह मोबाइल नम्बर मुख्य आरोपी राम उर्फ रवि के भाई दीपक के नाम पर पंजीकृत है. जांच अधिकारी ने दीपक को लेकर कोई जांच नहीं की है और ना ही उसे गिरफ्तार किया है.

इंस्पेक्टर ने अदालत को गुमराह किया

अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी इंस्पेक्टर ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी को सीसीटीवी कैमरे में शव को महाराजा अग्रसेन अस्पताल के पीछे फेंकते हुए कैप्चर किया गया था. जबकि पंजाबी बाग थानाक्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त ने दायर जवाब में कहा गया कि ऐसी कोई सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नहीं है. अदालत ने माना कि इंस्पेक्टर ने अदालत को गुमराह किया.

क्या है मामला

हरीश शर्मा की हत्या नंवबर 2018 में कर दी गई थी. यह हत्या पंजाबी बाग थानाक्षेत्र में हुई थी. मृतक हरीश को गोली मारी गई थी.